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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

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गुरुवार, 3 सितंबर 2015

//कमरछठ या खमरछठ या हलषष्ठी//



हर साल भादो महिना के अंधियारी पाख के छठ तिथि के शेषावतार भगवान बलराम के जन्म उत्सव के रूप मा मनाय जाथे । ये दिन मथुरा सहित देश के सबो बलराम/बलदाउ/हलधर के मंदिर मा पूजा पाठ करके ओखर जनम दिन मनाये जाथे ।

छत्तीसगढ मा घला ये पर्व के रूप मा मनाय जाथे । ये दिन संतान के सुख समृद्धि अउ दीर्घायु बर माता  मन उपास रहिथे ये दिन नागर चले जगह मा रेंगना वर्जित होथे । नागर के द्वारा उपजे अन्न अउ गाय के दूध के सेवन के आज मनाही होथे ।  आज के दिन बिना नागर चले उपजे पसहर चाउर अउ भाजी, भइसी दूध के सेवन करे जाथे ।

आज के दिन सगरी बना के ओखर पूजा करे जाथे, ये सगरी लाा हलषष्ठी दाई के रूप माने जाथे, जेन वास्तव मा पार्वती के एक रूप आवय । हलषश्ठी ला संतान के देवी माने जाथे । सगरी ला शंकरजी के परिवार सहित प्रतिक मान के पूजा करके ये कामना करे जाथें के आपके परिवार कस हमरो परिवार खुश रहय । जइसे आपके लइका बच्चा योग्य हे ओइसने हमरो लइका मन योग्य बनय ।

ये व्रत के संबंध में अइसे मान्यता हे कि जब कंस हा देवकी के छै लइका ला मार डरिस ता देवकी ला बहुत चिंता होगे के आखिर मोर एको लइका बाचही के नही कहिके, ओही बखत नारद हा देवकी ला सला देइस के तै मां पार्वती (हलषष्ठी) के व्रत कर ओखर कृपा ले तोर संतान मन ला आयु एवं समृद्धि जरूर मिलही । देवकी हा कंस के कारागार मा परे परे ये व्रत ला करिस । ये व्रत के ये प्रभाव होइस के ओखर गर्भ मा जेन लइका संचरत रहय, ओखर गर्भ परिवर्तन होगे, अर्थात व्रत के परभाव ले देवकी के गर्भ रोहणी के गर्भ मा प्रतिस्थापित होगे ।  रोहणी के गर्भ ले जेन शिशु के जन्म होइस ओही हा बलराम आय, ऐती देवकी के गर्भपात होगे कहिके कंस ला बता दे गीस । ये परकार ले जेखर लगातार छै लइका मारे गे रहिस ओचार सातवइया लइका बांच गे । जेन दिन बलराम के जनम होइस ओ दिन भादो बदि छठ रहिस, ते पाइके हर साल ऐही दिन खमरछठ मनायेे जाथे ।

-रमेश चौहान

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