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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

गुरुवार, 10 मई 2018

जूनी मेला

जूनी मेला



मेला हमारे देश की संस्कृति है । मेला केवल ऐसा स्थान ही नहीं है जहां मनोरंजन एवं व्यवसायीक उद्देश्य से लोग एकत्रीत होते हैं, अपितु मेले के आयोजन का कोई न कोई धार्मिक कारण अवश्य ही होता है । भारत देश का सबसे बड़ा मेला ‘कुंभ का मेला‘ होता है ।  प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में प्रति बारह वर्ष पर कुंभ का मेला लगता है और प्रति छः वर्ष पर अर्धकुंभ का आयोजन किया जाता है । तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम तट पर मेले का आयोजन होता है । इसी के प्रतिरूप देश के अनेक ऐसे स्थानों पर जहां तीन नदियों का संगम होता है वहां मेला अवश्य लगता है ।  छत्तीसगढ़ के प्रयाग राजीम में महानदी, पैरी एवं सोढूर के संगम पर प्रतिवर्ष मेला लगता है ।  तीन नदियों के संगम तट के अतिरिक्त ऐसे और स्थानों पर मेले लगते हैं जहां पर लोगों की आस्था, मान्यता जुड़ी हो ।  लोगों की मान्यता होती कि उस स्थान से उनके मनोकामना, अभिलाषा अवश्य पूरी होती है । ऐसे ही स्थानों में उभरती हुई मेला है ‘जुनी मेला‘ ।  जहां दिनों दिन भीड़ बढ़ती ही जा रही है ।
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला में जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी की दूरी पर, नवागढ़-सम्बलपुर मार्ग पर कांपा मोड़ से दक्षिण दिशा में 4 किमी की दूरी पर स्थित है ग्राम ढनढनी, गांव से कुछ ही दूरी पर एक सरोवर है ‘जुनी सरोवर‘ इसी सरोवर के तट पर प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा को ‘जुनी मेला‘ का आयोजन किया जाता है ।
इस मेले से जुड़ी जनश्रुति के अनुसार-एक बार एक कुष्ठ रोगी राह से गुजरते हुये इस तालाब पर स्नान किया  दैवीसंयोग से उस व्यक्ति का कुष्ठ कुछ ही दिनों में ठीक हो गया ।  यह तब की बात है जब कुष्ठ एक असाध्य रोग था । इस चमत्कार से ही लोगों का ध्यान इस सरोवर की ओर गया । तब से लोग अपनी मनोकामना लेकर इस सरोवर पर स्नान करने लगे । ऐसी मान्यता पैदा हुई कि इस सरोवर में स्नान करने पर चर्मरोग निश्चित ही दूर हो जाता है।
इस मेले की दूसरी मान्यता को कोई भी व्यक्ति मेले के दिन आकर परख सकता है । यह मेला अन्य मेलों से इस बात पर भिन्न है कि ज्यादातर मेलों पर ऐसे लोगों की भीड़ होती है जो मंदिर दर्शन करने आयें हो, मनोरंजन के लिये घूमने आये हो किन्तु यहां ऐसे लोग अधिक होते है जिनके मनोकामना पूर्ण हो गये हों, वे अपने मनोकामना पूर्ण होने पर ‘सत्यनारायण पूजा‘ कराने आये हों ।  इस मेले का अद्भूत दृश्य किसी को भी अभिभूत कर सकता है कई-कई स्थानों पर ‘सत्यनारायण का पूजा‘ चल रहा होता है और प्रत्येक पूजा स्थल पर एक नौनिहाल, जिनकी आयु लगभग 1-2 वर्ष । जुनी सरोवर, तट पर सत्यनारायण पूजा और नौनिहाल इन तीनों का संबंध इस स्थान के दूसरी मान्यता से है । इस मान्यता के अनुसार-यदि कोई निःसंतान दम्पत्ती एक साथ इस सरोवर पर श्रद्धा पूर्वक स्नान करे तो स्नान करने के एक वर्ष के भीतर-भीतर इनके गोद अवश्य भर जातें हैं ।  इस मनोकामना के लिये निःसंतान दम्पत्ती एक साथ हाथ में श्रीफल लेकर जूनी सरोवर में डूबकी लगाते हुये नारियल को सरोवर के अंदर किचड़ में यह कहते हुये गड़ा दिया जाता है कि माँ हमारी गोद भर दे ।  सच्ची आस्था होने पर निश्चित ही एक वर्ष के अंदर संतान सुख की प्राप्ती होती है ।

एक मान्यता के अनुसार इस स्थान पर देवी का वास है ।  सरोवर की खुदाई आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व हुई, इसके पूर्व यह सरोवर स्वतंत्र रूप में था।  बताया जाता है उक्त क्षेत्र को तात्कालीन राजा ने ठाकुरों को पुरस्कार के रूप में प्रदान कर दिया था। सरोवर की खुदाई के दौरान अवशेष के रूप में सरई का खंभा निकला जो आज भी मौजूद है।
इस मेले के आयोजन के लिये एक मेला समिति कार्यरत है ।  इस समिति द्वारा शिव जी एवं श्री कृष्ण जी का मंदिर भी इस स्थान पर बनवाया गया है। मेला स्थल पर सरोवर के उत्तर-पश्चिम में बूढ़ा महादेव का मंदिर है जिसके ऊपर दुर्गा माता का मंदिर है। बूढ़ा महादेव के पूर्व में काली मॉं व हनुमान जी का मंदिर हैं। बूढ़ा महादेव के पश्चिम में यज्ञ स्थल है। यज्ञ स्थल के दक्षिण में ज्योति कक्ष व मंच है।  मंच के दक्षिण में राधा-कृष्ण, दक्षिण में मुख्य शिव जी, उसके दक्षिण में दुर्गा जी, उसके दक्षिण में एक मंच है। बूढ़ा महादेव के उत्तर में पीछे की ओर एक और दुर्गा माता है तथा उसके ऊपर में एक बड़ी दुर्गा माता है। दुर्गा माता के उत्तर में मंच व ज्योति कक्ष है। बूढ़ा महादेव के पश्चिम में शिव के दो मंदिर हैं।
प्रतिवर्ष पौषपूर्णिमा के एक सप्ताह पूर्व से यहां धार्मिक आयोजन होने लगते हैं ।  इस एक सप्ताह के आयोजन में दिन में धार्मिक आयोजन में रात्रि में सांस्कृतिक आयोजन होता है ।  जूनी मेला का परिसर 14 एकड़ में फैला हुआ है ।  इस परिसर पर मेला अवधी में विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठान एवं मनोरंजन केन्द्र सजा होता है ।  इस मेले में आस-पास के क्षेत्रवासीयों के साथ-साथ दूर-दूर के आस्थावन पर्यटक भी पहुॅचते हैं ।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
नवागढ, जिला-बेमेतरा छ.ग.

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