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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

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सोमवार, 28 दिसंबर 2015

आत्म सम्मान ला जींदा रहन दौव



पहिली के सियान मन कहंय जेखर स्वाभिमान मरगे ओ आदमी जीते-जीयत मरे के समान हे । ये स्वाभिमान आय का ?  स्वाभिमान हा अपन खुद के क्षमता ऊपर विश्वास आय ये कोनो अभिमान या घमंड नो हय । आत्म सम्मान के भावना ला, अपन प्रतिष्ठा ला बचाये रखे के भाव ला आत्म सम्मान कहे जाथे । फेर आज काल ऐखर परिभाशा हा बदले-बदले लगथे । केवल अपन ठसन देखाना ला ही आत्म सम्मान याके स्वाभिमान माने लगें हें । ठसन आय का ? अपन क्षमता के प्रदर्शन खास करके धन-दोगानी के प्रदर्शन ला ठसन कहे जाथे ।
पहिली के मनखे मरना पसंद करत रहिन फेर फोकट मा कोखरो मेर ले कांही लेना, भीख मांगना, छूट लेना पसंद नई करत रहिन । पहिली के जमाना मा जब वैज्ञानिक अउ औद्योगिक विकास न के बराबर रहिस ता औसतन मनखे मन गरीब रहिन भूखमरी के समस्या बने रहिस । गरीबी हा उंखर रहन-सहन मा घला दिखत रहय । अइसन मा घला स्वाभिमानी मन के संख्या मा कमी नई आय रहिस ।  दुख-तकलीफ ला घला सइ-सइ के अपन आत्म सम्मान ला जिंदा राखे रहिन ।  फेर आज काल विकास अतका होय हे हर मनखे मा विकास दिखत हे । ओ दूरदीन अब ओइसन नई हे । तभो स्वाभिमानी मन के संख्या ना के बराबर दिखत हे, यदि अइसना नई होतीस ता गांव-गांव गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीअइया मन के संख्या अतका नई रहितिस जतका दिखत हे । गरीबी रेखा मा अइसन-अइसन मनखे के नाव जुडे हे जेन मन ला गांव के गौटिया घला कहे जाथे, जेखर लइकामन सरकारी नौकरी मा हे, गांव के गरीबी रेखा सूची ला देखे मा लगथे के पूरा गांव के गांव ऐमा समा गे हे । ये बात हा कोखरो गला नई उतरव के पूरा गांव कंगला हे का । प्रषासनिक लपरवाही अपन जगह हे, फेर ये स्थिति बने के असल कारण केवल अउ केवल अपन आत्मसम्मान ला बेचना हे ।  पहिली गांव के गौटिया ला कोनो 2 रू फोकट मा देतीस ओ लेतीस का ? आज काबर लेवत हे ।
आत्म सम्मान तब तक जींदा रहिथे, जबतक लालच के जहर ला ओ नई पीये हे । लालच के घूना किरा कहू लगिस ता कइसनो आत्मसम्मानीय रहय ओखर फोकला ओदरबे करही । एक सच्चा आत्मस्वाभिमानी हा गली मा गिरे चवन्नी ला घला नई उठावा । फेर आज काल अइसन हवा चलत हे जेला देखव ओला लालच के भूत धरे हे। छूट-छूट के जनता मन नारा लगावत हे, येमा छूट-ओमा छूट, व्यपारी ला छूट चाही कर्मचारी ला छूट चाही, किसान ला छूट चाही, नेता मन के का छूट तो ऊंखर खोलइत मा धराय हे । फेर बाच कोन गे जेला सरकारी छूट नई चाही ।  सरकार ला देखव फोकट मा बांटे के नदिया बोहावत हे, चाउर फोकट मा, सायकिल फोकट मा लेपटांप फोकट मा, ये फोकट मा ओ फोकट मा । जइसे राजा तइसे परजा, झोकत हे मुॅह फारे फोकट मा । झोकत हे अउ देखावत हे ठसन, हम काखर ले कम हन रे।
आवश्यकता मा सरकार जनता ला मदद करय, अउ जनता हा अपन आवश्यकता होय ता मदद लेवय । सरकार फोकट मा, छूट मा बांटना अपन कर्तव्य झन समझय अउ जनता मन हा फोकट अउ छूट ला अपन अधिकार झन मानय । आत्मसम्मान ला झन मारय ।  सरकार के ये दायित्व कतई नई होय के अपन जनता के आत्मसम्मान ला खोखला कर दय । जनता मन ला केवल भीखमंगा बना दय । ये लोकतंत्र मा जनता सबले बडे हे, जनता मन ला चाही हर बात के दोश सरकार के माथा मा पटके के पहिली अपनो ला देख लंय, ये झन कहंय फोकट मा देवत हे ता हमला ले मा का ।
आत्मसम्मान अउ नैतिकता एक दूसर के पूरक होथे । नैतिकता हा मानवता के जनक आय ।  कहूं मनखे मा आत्म सम्मान होही ता ओ कोनो गरीब के बांटा ला फोकट मा खुदे नई खाही, आत्मसम्मान होही ता गांव के परिया-चरिया ला नई घेरही । दूसरे मनखे के पीरा के रद्दा नई गढही । आत्म सम्मान के हत्या झन करव । आत्म सम्मान ला जींदा रहन दौव ।

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