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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

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मंगलवार, 26 मई 2020

नदी नालों को ही बचाकर जल को बचाया जा सकता है

नदी नालों को ही बचाकर जल को बचाया जा सकता हैभूमि की सतह और भूमि के अंदर जल स्रोतों में अंतर संबंध होते हैं ।जब भूख सतह पर जल अधिक होगा तो स्वाभाविक रूप से भूगर्भ जल का स्तर भी अधिक होगा । भू सतह पर वर्षा के जल नदी नालों में संचित होता है यदि नदी नालों की सुरक्षा ना की जाए तो आने वाला समय अत्यंत विकट हो सकता है । नदी नालों पर तीन स्तर से आक्रमण हो...

शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

परिवार का अस्तित्व

       परिवार का अस्तित्व हम बाल्यकाल से पढ़ते आ रहे हैं की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और समाज का न्यूनतम इकाई परिवार है । जब हम यह कहते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं तो इसका अर्थ क्या होता है ?  किसी मनुष्य का जीवन समाज में  उत्पन्न होता है और समाज में ही विलीन हो जाता है । सामाज का नींव परिवार है । परिवार...

बुधवार, 18 जुलाई 2018

विमुक्त जाति-देवार का दर्द (साक्षात्कार पर आधारित शोध आलेख)

देवार का दर्द (साक्षात्कार पर आधारित शोध आलेख) -रमेशकुमार सिंह चौहान मैं प्रतिदिन पौ फटने के पूर्व  सैर करने जाता हूँ । सैर करने जाते समय प्रतिदिन मैं कुछ बच्चों को देखता -इन बच्चों पर कुछ कुत्ते भौंकते और ये बच्चे वहां से किसी तरह कुत्तों को हकालते-भगाते  स्वयं भागते बचकर निकलते और सड़क किनारे पड़े कूड़े-कर्कट से अपने लिये कुछ उपयोगी कबाड़ एकत्रित करते ।  इन बच्चों में 6 वर्ष से 13 वर्ष तक के लड़के-लड़कियां हुआ करती हैं । यह घटना...

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