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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

गांव होवय के देश सबो के आय

मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । एक्केला मा दूये परकार के मनखे रहि सकथे एक तन मन ले सच्चा तपस्वी अउ दूसर मा बइहा भूतहा जेखर मानसिक संतुलन डोल गे हे । सामाजिक प्राणी के सबले छोटे इकाई घर परिवार होथे, जिहां जम्मोझन जुर मिल के एक दूसर के तन मन ले संग देथें अपने स्वार्थ भर ला नई देखंय कहू कोनो एको झन अपन स्वार्थ ला अपन अहम ला जादा महत्व दे लगिन ता ओ परिवार के पाया ह डोले लगथें अउ ओ धसक जाथे । परिवार ला...

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