Home Page

new post

सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

शनिवार, 22 अप्रैल 2017

‘‘गांव होवय के देश सबो के आय‘‘

‘‘गांव होवय के देश सबो के आय‘‘ मनखे जनम  जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय ।  ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । अकेल्ला मा दूये परकार के मनखे रहि सकथे एक तन मन ले सच्चा तपस्वी अउ दूसर मा बइहा भूतहा जेखर मानसिक संतुलन डोल गे हे ।  सामाजिक प्राणी के सबले छोटे इकाई घर परिवार होथे, जिहां जम्मोझन जुर मिल के एक दूसर के तन...

मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

‘मुक्तक‘

मुक्‍तक की परिभाषा-‘अग्निपुराण’ में मुक्तक को परिभाषित करते हुए कहा गया किः”मुक्तकं श्लोक एवैकश्चमत्कारक्षमः सताम्” अर्थात चमत्कार की क्षमता रखने वाले एक ही श्लोक को मुक्तक कहते हैं ।महापात्र विश्वनाथ (13 वीं सदी) के अनुसार- ’छन्दोंबद्धमयं पद्यं तें मुक्तेन मुक्तकं’  अर्थात जब एक पद अन्य पदों से मुक्त हो तब उसे मुक्तक कहते हैं । मुक्तक का शब्दार्थ ही है ’अन्यैः मुक्तमं इति मुक्तकं’ अर्थात जो अन्य श्लोकों या अंशों से मुक्त...

लोकप्रिय पोस्ट