
‘स्वच्छता के निहितार्थ एवं व्यवहारिक पक्ष‘‘भारत के प्राचीन संस्कृति सदैव सामाजिक सारोकार से जुड़ी रही किन्तु आधुनिकता के अंधी दौड़ में व्यक्तिनिष्ठ जीवनषैली का विकास होने लगा सामाज के प्रति सामूहिक दायित्व क्षीण प्रतित होने लगा । जहां पहले सामाजिक सरोकार व्यक्ति-व्यक्ति के मनो-मस्तिश्क में था वहीं अब सामाजिक दायित्व कुछ सामाजिक संगठन एवं...