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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

मुक्तक-1 (लोकप्रचलित मुक्तक)

‘मुक्तक’ ‘अग्निपुराण’ में मुक्तक को परिभाषित करते हुए कहा गया कि- ”मुक्तकं श्लोक एवैकश्चमत्कारक्षमः सताम्” अर्थात चमत्कार की क्षमता रखने वाले एक ही श्लोक को मुक्तक कहते हैं। महापात्र विश्वनाथ (१३ वीं सदी) के अनुसार ’छन्दोंबद्धमयं पद्यं तें मुक्तेन मुक्तकं’  अर्थात जब एक पद अन्य पदों से मुक्त हो तब उसे मुक्तक कहते हैं. मुक्तक का शब्दार्थ ही है ’अन्यैः मुक्तमं इति मुक्तकं’ अर्थात जो अन्य श्लोकों या अंशों से मुक्त या स्वतंत्र हो उसे मुक्तक...

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