हर समाज के अपन सांस्कृतिक विरासत होथे । ऐला जीये मा अपने अलग मजा होथे । इही विरासत मा हमर देश के प्रमुख तिहार हे होली । ये होली ला हमर छत्तीसगढ़ मा होरी कहे जाथे । अइसे तो छत्तीसगढ़ के हर परब मा हमर लोकगीत हा परब मा चार चांद लगा देथे फेर होरी के फाग गीत के बाते अलग हे । होरी तिहार के फाग मा झुमरत नाचत संगी मन ला देख के अइसे लगते होरी हा गीत अउ उमंग के तिहार आय । छत्तीसगढ़ मा ये तिहार प्रमुख रूप ले दू ढंग ले मनाय जाथे पहिली मैदानी इलका...
गुरुवार, 17 मार्च 2016
सोमवार, 28 दिसंबर 2015
आत्म सम्मान ला जींदा रहन दौव
दिसंबर 28, 2015
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पहिली के सियान मन कहंय जेखर स्वाभिमान मरगे ओ आदमी जीते-जीयत मरे के समान हे । ये स्वाभिमान आय का ? स्वाभिमान हा अपन खुद के क्षमता ऊपर विश्वास आय ये कोनो अभिमान या घमंड नो हय । आत्म सम्मान के भावना ला, अपन प्रतिष्ठा ला बचाये रखे के भाव ला आत्म सम्मान कहे जाथे । फेर आज काल ऐखर परिभाशा हा बदले-बदले लगथे । केवल अपन ठसन देखाना ला ही आत्म सम्मान याके स्वाभिमान माने लगें हें । ठसन आय का ? अपन क्षमता के प्रदर्शन खास करके धन-दोगानी के प्रदर्शन ला...
रविवार, 15 नवंबर 2015
-: राउत नाचा अउ ओखर दोहा मा पर्यावरण:-
नवंबर 15, 2015
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राउत नाचा अउ ओखर
दोहा मा पर्यावरण
-रमेशकुमार सिंह चौहान
राउत नाचा हमर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोवर आवय । हालाकि राउत नाचा एक जाति विशेष के द्वारा प्रस्तुत करे जाथे फेर ऐमा जम्मो छत्तीसगढि़या मन के दया मया अउ संस्कृति हा भरे हवय । काबर के छत्तीसगढ़ शुरू ले खेती खार मा आश्रित रहे हे, खेतीखार बर गउ वंश गाय बइला हा बासी मा नून अउ खीर मा शक्कर कस जरूरी रहिस । ऐही सेती जम्मो मनखे अपन-अपन सामर्थ्य के अनुसार गाय गुरूवा पालत पोसत आवत हे । समाज...
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