
‘‘गुरू की
सर्वव्यापकता‘‘
- रमेशकुमार
सिंह चौहान
भारतीय जीवनशैली गुरू रूपी सूर्य के तेज से आलोकित है । भारतीय साहित्य संस्कृत से लेकर विभिन्न भारतीय भाषाओं तक गुरू
महिमा से भरा पड़ा है । भारतीय जनमानस में गुरू पूर्णतः रचा बसा हुआ है । गुरू स्थूल
से सूक्ष्म, सहज से क्लिष्ठ, गम्य से अगम्य, साधारण से विशेष, जन्म से मृत्यु, तक व्याप्त
है । ‘‘गुरू...