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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

मुक्तक-2 (रदिफ एवं काफिया)


रदीफ
रदीफ़ अरबी शब्द है इसकी उत्पत्तिरद्धातु से मानी गयी है।  रदीफ का शाब्दिक अर्थ है ’“पीछे चलाने वाला’” या ’“पीछे बैठा हुआ’” यादूल्हे के साथ घोड़े पर पीछे बैठा छोटा लड़का’ (बल्हा)  ग़ज़ल के सन्दर्भ में रदीफ़ उस शब्द या शब्द समूह को कहते हैं जो मतला (पहला शेर) के मिसरा उला (पहली पंक्ति) और मिसरा सानी (दूसरी पंक्ति) दोनों के अंत में आता है और हू--हू एक ही होता है यह अन्य शेर के मिसरा--सानी (द्वितीय पंक्ति) के सबसे अंत में हू--हू आता है
उदाहरण -
हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
- (दुष्यंत कुमार)
इस उदाहरण मे ‘चाहिए‘ रदिफ़ है ।
          मुक्तक के प्रथम, द्वितीय एवं चतुर्थ पंक्ति के अंत के शब्द या शब्दांश एक ही होना चाहिये अर्थात इन तीनों पंक्ति में रदिफ एक समान हो किन्तु तीसरी पंक्ति रदिफ मुक्त हो
जैसे-
आँसुओं का समंदर सुखाया गया ,
अन्त में बूँद भर ही बचाया गया ,
बूँद वह गुनगुनाने लगी ताल पर -
तो उसे गीत में ला छुपाया गया !
................. ओम नीरव.
इस उदाहरण मेगयारदिफ़ है
काफिया
अरबी शब्द है जिसकी उत्पत्तिकफुधातु से मानी जाती है काफिया का शाब्दिक अर्थ हैजाने के लिए तैयार  ग़ज़ल के सन्दर्भ में काफिया वह शब्द है जो समतुकांतता के साथ हर शेर में बदलता रहता है यह ग़ज़ल के हर शेर में रदीफ के ठीक पहले स्थित होता है  जबकि मुक्तक में पहले, दूसरे एवं चौथे पंक्ति में
उदाहरण -
         हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
         इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
         मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
         हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।  (दुष्यंत कुमार)
इस उदाहरण मेअलनीकाफिया है
रदीफ से परिचय हो जाने के बाद हमें पता है कि प्रस्तुत अशआर में चाहिए हर्फ़--रदीफ है इस ग़ज़ल मेंपिघलनी”, “निकलनी”, “जलनीशब्द हर्फ -- रदीफचाहिएके ठीक पहले आये हैं और समतुकांत हैं ।

आँसुओं का समंदर सुखाया गया ,
अन्त में बूँद भर ही बचाया गया ,
बूँद वह गुनगुनाने लगी ताल पर -
तो उसे गीत में ला छुपाया गया !
................. ओम नीरव.
इस उदाहरण मे  काफियाआयाहै
प्रस्तुत अशआर में गया हर्फ़--रदीफ है इस ग़ज़ल मेंसुखाया”, “बचाया”, “छुपायाशब्द हर्फ -- रदीफगयाके ठीक पहले आये हैं और समतुकांत हैं

आगे पढ़ने के लिये इस लिंक को देखें-
मुक्तक-3 (बहर)

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