छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ प्रांत की मातृभाषा एवं राज भाषा है । श्री प्यारेलाल गुप्त के अनुसार ‘‘छत्तीसगढ़ी भाषा अर्धभागधी की दुहिता एवं अवधी की सहोदरा है ।‘‘1 लगभग एक हजार वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ी साहित्य का सृजन परम्परा का प्रारम्भ हो चुका था । अतीत में छत्तीसगढ़ी साहित्य सृजन की रेखयें स्पष्ट नहीं हैं । सृजन होते रहने के बावजूद आंचलिक भाषा को प्रतिष्ठा नहीं मिल सकी तदापी विभिन्न कालों में रचित साहित्य के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं । छत्तीसगढ़ी साहित्य एक...
गुरुवार, 10 मई 2018
एक महात्मा साहित्यकार-‘‘श्री कृष्ण कुमार भट्ट ‘पथिक‘ ‘‘

सिद्धांतों का मूर्ति बनाना और सिद्धांतों को जीवित करना दो अलग-अलग बातें होती हैं । सिद्धांतों का कथन करने वाले सैकड़ों होते हैं किन्तु सिद्धांत को अपना जीवन बना लेने वाले सैकड़ों में कुछ एक ही होते हैं । ऐसे ही कुछ लोगों में शीर्षस्थ हैं श्री कृष्ण कुमार भट्ट ‘पथिक‘ । ‘भट्ट सर‘ के नाम से छत्तीसगढ़ के रचनाधर्मिर्यो के मध्य उनकी लोकप्रियता...
जूनी मेला

जूनी मेलामेला हमारे देश की संस्कृति है । मेला केवल ऐसा स्थान ही नहीं है जहां मनोरंजन एवं व्यवसायीक उद्देश्य से लोग एकत्रीत होते हैं, अपितु मेले के आयोजन का कोई न कोई धार्मिक कारण अवश्य ही होता है । भारत देश का सबसे बड़ा मेला ‘कुंभ का मेला‘ होता है । प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में प्रति बारह वर्ष पर कुंभ का मेला लगता है और प्रति छः वर्ष...
‘‘लोक-चेतना लोक-संस्कृति के संवाहक-डॉ. सोमनाथ यादव‘‘
‘लोक-चेतना लोक-संस्कृति के संवाहक-डॉ. सोमनाथ यादवकिसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की छाप समाज पर तब दृष्टिगोचर होता है जब वह अपने सृजनात्मक एवं समाजोपयोगी कार्य के बल पर दृढ़ता से आगे बढ़ता रहता है। एक 21-22 वर्ष के युवक द्वारा अपनी संस्कृति, अपनी परम्परा का चिंतन करते हुये ‘‘बिलासा कला मंच‘ का गठन करना एक अतिशियोक्ति से कम नहीं है । यह साहसिक कार्य करने...
छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण बर

छत्तीसगढ़ी के मानकीकरणमानकीकरण के संदर्भ म हमर विद्वान मन के दू प्रकार के विचार देखे ल मलिथे एक विचार धारा के अनुसार- ‘‘मानक भाषा अपन बनावट ले अपन भाषा के नाना प्रकार के रूप ले कोनो एक रूप या एक बोली ऊपर आधारित होथे। येखर मानक बने ले येखर बोलीगत गुण खतम होय लगथे अउ वो क्षेत्रीय ले अक्षेत्रीय हो जाथे। येखर कोनो तय सीमा क्षेत्र नई होवय अउ न ही ये कोनो...
लोकप्रिय पोस्ट
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राउत नाचा अउ ओखर दोहा मा पर्यावरण -रमेशकुमार सिंह चौहान राउत नाचा हमर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोवर आवय । हालाकि राउत ना...
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मुक्तक की परिभाषा- ‘अग्निपुराण’ में मुक्तक को परिभाषित करते हुए कहा गया किः ”मुक्तकं श्लोक एवैकश्चमत्कारक्षमः सताम्” अर्थात चमत्कार की क्ष...
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मात्रा गणना का सामान्य नियम - क्रमांक १ - सभी व्यंजन ( बिना स्वर के ) एक मात्रिक होते हैं जैसे - क , ख , ग , घ , च ...
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ददरिया हमर छत्तीसगढ़ प्राकृतिक छटा ले जतका भरे - पूरे हे ओतके अपन लोकगीत ले घला अटे परे हे हर उत्सव के गीत हे इहां...
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‘‘गुरू की सर्वव्यापकता‘‘ - रमेशकुमार सिंह चौहान भारतीय जीवनशैली गुरू रूपी सूर्य के तेज से आलोकित है । भारतीय साहित्य संस्कृत से ल...
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शमि गणेश मंदिर नवागढ गांव नवागढ़ मोर हे, छत्तीसगढ़ म एक । नरवरगढ़ के नाव ले, मिले इतिहास देख ।। मिले इतिहास देख, गोड़वाना के चिन्हा । ...
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‘‘साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का योगदान‘‘ -रमेशकुमार सिंह चैहान आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार -‘साहित्य ज...
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पहिली के सियान मन कहंय जेखर स्वाभिमान मरगे ओ आदमी जीते-जीयत मरे के समान हे । ये स्वाभिमान आय का ? स्वाभिमान हा अपन खुद के क्षमता ऊपर वि...
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‘‘गांव होवय के देश सबो के आय‘‘ मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । अकेल्ला मा दूये परकार के ...
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बहर मात्राओं के क्रम को ही बहर कहा जाता है । जिस प्रकार हिन्दी में गण होता है उसी प्रकार उर्दू में रू...