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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

गुरुवार, 10 मई 2018

एक महात्मा साहित्यकार-‘‘श्री कृष्ण कुमार भट्ट ‘पथिक‘ ‘‘

सिद्धांतों का मूर्ति बनाना और  सिद्धांतों को जीवित करना दो अलग-अलग बातें होती हैं ।  सिद्धांतों का कथन करने वाले सैकड़ों होते हैं किन्तु सिद्धांत को अपना जीवन बना लेने वाले सैकड़ों में कुछ एक ही होते हैं ।  ऐसे ही कुछ लोगों में शीर्षस्थ हैं श्री कृष्ण कुमार भट्ट ‘पथिक‘ । ‘भट्ट सर‘ के नाम से छत्तीसगढ़ के रचनाधर्मिर्यो के मध्य उनकी लोकप्रियता...

जूनी मेला

जूनी मेलामेला हमारे देश की संस्कृति है । मेला केवल ऐसा स्थान ही नहीं है जहां मनोरंजन एवं व्यवसायीक उद्देश्य से लोग एकत्रीत होते हैं, अपितु मेले के आयोजन का कोई न कोई धार्मिक कारण अवश्य ही होता है । भारत देश का सबसे बड़ा मेला ‘कुंभ का मेला‘ होता है ।  प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में प्रति बारह वर्ष पर कुंभ का मेला लगता है और प्रति छः वर्ष...

‘‘लोक-चेतना लोक-संस्कृति के संवाहक-डॉ. सोमनाथ यादव‘‘

‘लोक-चेतना लोक-संस्कृति के संवाहक-डॉ. सोमनाथ यादवकिसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की छाप समाज पर तब दृष्टिगोचर होता है जब वह अपने सृजनात्मक एवं समाजोपयोगी कार्य के बल पर दृढ़ता से आगे बढ़ता रहता है। एक 21-22 वर्ष के युवक द्वारा अपनी संस्कृति, अपनी परम्परा का चिंतन करते हुये ‘‘बिलासा कला मंच‘ का गठन करना एक अतिशियोक्ति से कम नहीं है । यह साहसिक कार्य करने...

छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण बर

छत्तीसगढ़ी के मानकीकरणमानकीकरण के संदर्भ म हमर विद्वान मन के दू प्रकार के विचार देखे ल मलिथे एक विचार धारा के अनुसार- ‘‘मानक भाषा अपन बनावट ले अपन भाषा के नाना प्रकार के रूप ले कोनो एक रूप या एक बोली ऊपर आधारित होथे। येखर मानक बने ले येखर बोलीगत गुण खतम होय लगथे अउ वो क्षेत्रीय ले अक्षेत्रीय हो जाथे। येखर कोनो तय सीमा क्षेत्र नई होवय अउ न ही ये कोनो...

शुक्रवार, 23 मार्च 2018

स्वतंत्रता सेनानी भागवत प्रसाद उपाध्याय

स्वतंत्रता  सेेनानी भागवत प्रसाद उपाध्याय किसी भूमि के टुकड़े को राष्ट्र कहके तब पुकारा जाता है, जब उस स्थान पर ऐसे लोग निवास करते हो जो उस मिट्टी से प्रेम करते हों । उस मिट्टी में निवास करते हुये एक संस्कृति विकसित कर लेते हों और जीवन पर्यन्त अपनी मिट्टी और संस्कृति से प्रेम करते हों ।  लोगों के उस मिट्टी के प्रति जो अनुराग, जो श्रद्धा...

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

तीज-त्यौहारः भैया दूज

तीज-त्यौहारः भैया दूजतीज-त्यौहार हमारी संस्कृति का आधार स्तंभ है । हर खुशी, हर प्रसंग, हर संबंध, जड़-चेतन के लिये कोई ना कोई पर्व निश्चित है । छत्तीसगढ़ में हर अवसर के लिये कोई ना कोई पर्व है । खुशी का पर्व हरियाली या हरेली, दीपावली, होली आदि, संबंध का पर्व करवा-चौथ, तीजा-पोला, रक्षा बंधन आदि, जड़-चेतन के लिये वट-सावित्री, नाग-पंचमी आदि । छत्तीसगढ़ हिन्दी...

मंगलवार, 23 मई 2017

‘स्वच्छता के निहितार्थ एवं व्यवहारिक पक्ष‘‘

‘स्वच्छता के निहितार्थ एवं व्यवहारिक पक्ष‘‘भारत के प्राचीन संस्कृति सदैव सामाजिक सारोकार से जुड़ी रही किन्तु आधुनिकता के अंधी दौड़ में व्यक्तिनिष्ठ जीवनषैली का विकास होने लगा सामाज के प्रति सामूहिक दायित्व क्षीण प्रतित होने लगा ।  जहां पहले सामाजिक सरोकार व्यक्ति-व्यक्ति के मनो-मस्तिश्क में था वहीं अब सामाजिक दायित्व कुछ सामाजिक संगठन  एवं...

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