बहर
मात्राओं के क्रम को ही बहर कहा जाता है । जिस प्रकार हिन्दी में गण होता है उसी प्रकार उर्दू में रूकन होता है ।
रुक्न = गण, घटक, पद, निश्चित मात्राओं का पुंज । जैसे हिंदी छंद शास्त्र में गण होते हैं, यगण (२२२), तगण (२२१) आदि उस तरह ही उर्दू छन्द शास्त्र ’अरूज़’ में कुछ घटक होते हैं जो ’रुक्न’ कहलाते हैं ।
बहुवचन=अरकान
रुक्न के दो भेद होते हैं -
१ - सालिम रुक्न (मूल रुक्न)
२- मुज़ाहिफ रुक्न (उप रुक्न)
१) सालिम रुक्न (मूल रुक्न) - अरूज़शास्त्र में सालिम अरकान की संख्या सात कही गई है-
रुक्न - रुक्न का नाम -
मात्रा
फ़ईलुन - मुतक़ारिब - १२२
फ़ाइलुन - मुतदारिक - २१२
मुफ़ाईलुन - हजज़ - १२२२
फ़ाइलातुन - रमल - २१२२
मुस्तफ़्यलुन - रजज़
- २२१२
मुतफ़ाइलुन - कामिल - ११२१२
मफ़ाइलतुन - वाफ़िर - १२११२
२) मुज़ाहिफ रुक्न (उप रुक्न)- सात मूल रुक्न के कुछ उप रुक्न भी हैं जो मूल रुक्न को तोड़ कर अथवा मात्रा जोड़ कर बनाए गये हैं।
उदाहरण - २(फ़ा), २१( फ़ेल), १२(फ़अल), १२१ (फ़ऊल), ११२ (फ़इलुन), २१२(फ़ाइलुन), ११२२(फ़इलातुन), १२१२(मुफ़ाइलुन), २१२२१(फाइलातान)आदि।
बहर की सूची –
क्रमांक
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रुक्न का नाम
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मात्रा
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बहर का नाम
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1
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मुतकारिब
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१२२ १२२ १२२ १२२
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मुतकारिब मुसम्मन सालिम
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2
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१२२ १२२ १२२
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मुतकारिब मुसद्दस सालिम
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3
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१२२ १२२
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मुतकारिब मुरब्बा सालिम
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4
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मुतदारिक
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२१२ २१२ २१२ २१२
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मुतदारिक मुसम्मन सालिम
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5
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२१२ २१२ २१२
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मुतदारिक मुसद्दस सालिम
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6
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२१२ २१२
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मुतदारिक मुरब्बा सालिम
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7
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रमल
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२१२२ २१२२ २१२२ २१२२
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रमल मुसम्मन सालिम
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8
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२१२२ २१२२ २१२२
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रमल मुसद्दस सालिम
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9
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२१२२ २१२२
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रमल मुरब्बा सालिम
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10
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हजज
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१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
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हजज मुसम्मन सालिम
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11
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१२२२ १२२२ १२२२
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हजज मुसद्दस सालिम
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12
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१२२२ १२२२
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हजज मुरब्बा सालिम
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13
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रजज
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२२१२ २२१२ २२१२ २२१२
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रजज मुसम्मन सालिम
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14
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२२१२ २२१२ २२१२
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रजज मुसद्दस सालिम
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15
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२२१२ २२१२
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रजज मुरब्बा सालिम
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16
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कामिल
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११२१२ ११२१२ ११२१२ ११२१२
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कामिल मुसम्मन सालिम
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17
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११२१२ ११२१२ ११२१२
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कामिल मुसद्दस सालिम
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18
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११२१२ ११२१२
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कामिल मुरब्बा सालिम
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19
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वाफिर
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१२११२ १२११२ १२११२ १२११२
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वाफिर मुसम्मन सालिम
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20
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१२११२ १२११२ १२११२
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वाफिर मुसद्दस सालिम
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21
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१२११२ १२११२
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वाफिर मुरब्बा सालिम
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प्रत्येक मुफरद सालिम बहरों से कुछ उप-बहरों का निर्माण होता है। उप-बहर बनाने के लिए मूल बहर में एक या एक से अधिक सालिम रुक्न की मात्रा को घटा कर अथवा हटा कर उप-बहर का निर्माण करते हैं । इस प्रकार बनी बहर को ’मुफरद मुजाहिफ’ बहर कहते हैं ।
आगे पढ़ने के लिये इस लिंक को देखें-
मुक्तक-4 (मात्रा गणना का समान्य नियम)
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