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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

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शनिवार, 23 मई 2015

हमर छत्तीसगढ़ी भासा ला आठवीं अनुसूची मा सामील करायके परयास

         छत्तीसगढ़ी भासा ला आठवीं अनुसूचची मा सामिल कराय के परयास के संबंध मा चरचा करे के पहिली हमला ये  जानेे ल परही के ये आठवी अनुसूची आय का अउ ऐखर ले का फायदा नुकसान हवय ।  आठवी अनुसूची  हमर भारतीय संविधान के अइसे अनुसूची आय जेमा भारत मा प्र्रचलित भासा ला संवैधानिक दर्जा दे जाथे ।  भारतीय अनुच्छेद 344(1) अउ 35 (भासा) मा कहे गे हे भारतीय संघ के जम्मो कार्यपालिका अउ न्यायपालिका के भासा अंग्रेजी, हिन्दी अउ आठवी अनुसूची मा मान्यतता प्राप्त  क्षेत्रीय भासा होही । भारतीय अनुच्छेद 344(1) अउ अनुच्छेद 351 के अनुसार आठवी अनुसूची मा सामिल भासा के विकास अउ ओखर परचार के जिम्मा केन्द्र सरकार के होही । ये संबंध मा केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिसा निर्देस राज्य सरकार बर बंधनकारी होही । अभी तक ये अनुसूची मा 22 भासा ला सामिल करे गे हे ।
छत्तीसगढ़ी के आठवीं अनुसूची मा सामिल होय ले फायदे फायदा हे, सबले जादा फायदा हमर छत्तीसगढि़या नवजवान साथी मन ला हो ही संघ लोक सेवा आयोग अउ राज्य लोक सेवा आयोग के परीक्षा मा ऐ एक भासा के रूप मा मान्य होही । आठवी अनुसूूची मा सामिल होेय के बाद  हमर छत्तीसगढ़ी राजभासा आयाोग ला मानव संसाधन विभाग द्वारा योजना राषि दे जाहीं, संगे संग भासा विकास प्राधिकरण द्वारा आर्थिक सहयोग दे जाही । भारत सरकार के गजट के परकासन छत्तीसगढ़ी मा घला होही । राष्ट्रपति के अभिभासन ला छत्तीसगढ़ी मा अनुवाद करके आकाषवाणी अउ दूरदरसन ले परसारित कराय जाही । ये जम्मो फायदा कोनो भी छत्तीसगढ़ी भासी संगी ला होही चाहे वो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी होय, चाहे आने राज्य या देस के ।
अब सवाल उठते आखीर कोनो भासा ला आठवीं अनुसूची मा सामिल कराय बर का करे ला परते ।  कोन हा कोन भासा ला ये सूची मा जोड़ सकते हे । भारतीय संविधान के आठवी अनुसूची में भासा ला जोड़े के अधिकार केंद्र सरकार ला हे कोन भासा ला जोड़े जाय ये संबंध मा कोनो इसपस्ट उल्लेख नइ हे।
आठवी अनुसूची मा पहिली 14 भासा -असमिया, बंग्ला, गुजराती, हिन्दी कन्नड, कशमीरी, मराठी मलयालम, उडिया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलगू अउ उर्दू रहिस । 1967 मा 21वां संविधान संशोधन करके कोंकणी अउ मणीपुरी ला, 1992 मा 71वां संविधन संषोधन करके नेपाली ला अउ 2003 मा 91वं संशोधन करके बोडो, डोगरी, संथाली अउ मैथली ला सामिल करे गे हे । ऐखर ले इस्पस्ट हे छत्तीसगढी ला ऐमा सामिल करे बर फेर संविधान संशोधन करे ला परही ।
             अनुच्छेद 345 अउ 346 हा राज्य ला भासा के संबंध मा छूट दे रखे हे । जेखर अधिन छत्तीसगढ के राज भासा हिन्दी के गे संग छत्तीसगढी ला बनाय गे हे । अनुच्छेद 347 के अनुसार कोनो राज्य मा कहू कोनो भासा के बोलइया मन के संख्या जादा होय ता उंहा के राज्य सरकार हा, ये सबंध मा राष्ट्रपति ला अभिज्ञात दे सकत हे, जेखर आधार मा राष्ट्रपति अभिज्ञा देते अउ वो भासा ला आठवी सूची मा सामिल करे के रद्दा खुल जाथे ।
छत्तीसगढ़ी ला आठवीं अनुसूची मा सामिल करे के मांग ऐखर राज भासा बने के संगे संग षुरू होगे हे ।  छत्तीसगढी राजभासा आयोग ये दिशा मा अपन पहिली सम्मेलन ‘राजभासा कुंभ‘ 2013 ले कर दे हवय । ये सम्मेलन के समापन समारोह मा खुदे ये संबंध हमर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह हा ये भासा ला आठवीं अनुसूची मा सामिल कराय के आस्वासन दे हवय । ‘छत्तीसगढी ला  जन भासा बनाय के जरूरत नइ हे ये खुदे एक जनभासा बने हवय । हमर राज्य के पढ़े-लिखे संगी मन आज तक ये भासा ला उपेक्षा ले देखत रहिन ।  जेन मनखे के परिवार नानपन ले घर मा छत्तीसगढ़ी बोलत रहिन ओ मन दू आखर पढ-लिख के ये भासा ला बोले ला बंद कर दिहीन । छत्तसगढ़ी मा बोलइया मन ला देहाती अउ गवार कहे लगीन । अइसन धारणा ला मिटाय बर ‘छत्तीसगढ़ी बर सकलाव‘ के नारा देत राजभासा आयोग हा अपन दूसर सम्मेलन 2014 मा छत्तीसगढ़ी ला पढ़े-लिखे मन के भासा बनाय के पुर जोर कोसिस करीन ।  राजभासा अपन तीसर प्रांतीय अधिवेष्न 2015 ला तो ‘आठवी अनुसूची मा छत्तीसगढ़ी‘ ला समर्पित करे रहिस ।
अइसनो बात नइ हे के एकेल्ला राजभासा ऐ दिसा मा कोसिस करत हे । बहुत अकन साहित्यिक संस्था मन घला ये दिसा मा परयासरत हे । छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर 2009 मा कवरधा मा अपन प्रांतीय अधिवेसन कराइन जेमा छत्तीसगढ़ के पहिली अध्यक्ष पंडित ष्यामलाल चतुर्वेदी, वरिष्ठ साहित्यकार डाँ विनय पाठक मन सिरकत करीन । ये सम्मेलन के मुख्य विषय रहिस ”छत्तीसगढ़ी भाखा अउ आठवीं अनुसूची”।
ये विसय मा घात दिन ले गोष्ठी, सम्मेलन, चरचा-परिचरचा चलत हवय फेर येमा अभी तक सफलता नइ मिले हे । ऐखर कारण मा जाहू ता ऐकेठन कारन दिखही, इच्छा शक्ति के कमी । नेता के अउ आम जनता के ।  आठवी सूची के विसय सब्बो ढंग ले एक राजनीतिक इच्छा शक्ति मा निरभर हे ।  राजनीतिक इच्छाशक्ति के उदय जन दबाव मा निरभर करथे ।
छत्तीसगढी ला ‘जनभासा‘ ले राजभासा अउ ‘राजभासा‘ ले आठवी अनुसूची के भासा बनाय पर ‘छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच‘ के गठन करे गे हे ।  जेखर संयोजक श्री नंदकिशोर शुक्ल हे, जेमा जागेश्वर प्रसाद, रामेश्वर शर्मा, सुधीर शर्मा, जयप्रकाश शर्मा, चेतन भारती, सुशील भोले, वैभव पाण्डेय, संजीव साहू अउ राकेश चैहान मन सदस्य हें ।  छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच‘ हा छत्तीसगढी ला आठवी अनुसूची मा सामिल कराये बर जनजागरण करे बर एक ठन अलग समिति के गठन करे हे, जेन हा घर-घर जाके दस्तक देही । ये समिति हा हमर राज्य के संसद, विधायक अउ जनप्रतिनिधि मन के दस्खत ले के एक ज्ञापन बनाही जेला महामहिम राश्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष अउ संसदीय कार्यमंत्री ला दे जाही । ऐमा हमर राज के पंच विभूति पद्मश्री डाॅ सुरेन्द्र दुबे, डांॅ महादेव प्रसाद पाण्डे, डाॅ जे.एम. नेल्सन, श्री अनुज शर्मा अउ भारती बंधुमन घला सामिल होही ।
अब तक के परयास ला देखे मा हम पाथन के ये दिसा मा साहित्यकार मन पूरा जोर जगा दें हे, जगह-जगह ये विसय मा चरचा-गोष्ठी करावत हवे अउ आम जनता ला जगावत हवे ।  ऐखर सकारात्म परिणाम घला देखे मा आवत हे । छत्तीसगढ़ी ला हे के दृश्टि ले देखइया मन के संख्या मा दिनो दिन कमी आवत हे ।
मोर सोच हे हमार राज्य के गांव-देहात मा बसे जनता मन छत्तीसगढी ला अपन दिनचरया के भासा पहिली ले बना रखे हे ।  समस्या तो सहर अउ सहरीकरण के परभाव मा आये लोगन के हे जेन मन पति-पत्नि छत्तीसगढी मा गोढियाते अउ अपने लइका मेर हिन्दी झाड़थे ।  बहुत झन अइसे वक्ता, नेता हे जेन हा छत्तीसगढ़ी बर मंच मा छत्तीसगढ़ी मा तगड़ा भाशण देथें अउ मंच के घालहे मा हिन्दी अंग्रेजी मा सोर मचाथे । ऐखरो एक ठन कारण हे छत्तीसगढी पहिली ले जनभासा रहिस हे, पढे-लिखे मन अपन ला उंखर ले अलग दिखे बर उन्ला गंवार अउ छत्तीसगढी ला गंवार मन के भासा देखाय के प्रपंच कर डारिन फेर छत्तीसगढ अउ छत्तीसगढी के राज भासा बने  ले सोच मा फरक परे हे अउ ये सोच जेन दिन मर जाही अउ ये भासा बर अपन पन के भाव जेन दिन जाग जाग जाही, उही दिन हमर भासा आठवीं अनुसूची मा सामिल हो जाही ।

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