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सत्‍य ही शाश्‍वत सत्‍य है

   मानव जीवन में सच्चाई क्या है? मानव जीवन में सच्चाई क्या है?  हमारा शरीर या हमारी आत्मा।  हम जो दृश्य अपनी आँखों से देखते हैं, जो आवा...

शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

//मंदिरों का गढ़-‘नवागढ़‘//

 छत्तीसगढ़ अपने नाम के ही साथ ‘छत्तीस‘ गढ़ को समेटा हुआ है । राजतंत्र के समय छत्तीसगढ़ के जीवन दायनी शिवनाथ नदी के उत्तर दिशा में 18 एवं दक्षिण दिशा में 18 गढ़ हुआ करता था । उत्तर दिशा के गढ़ों की राजधानी रतनपुर एवं दक्षिणा दिशा के गढ़ों की राजधानी रायपुर था ।  शिवनाथ नदी के उत्तर दिशा में रतनपुर राजधानी के अंतर्गत एक गढ़ था जिसका नाम...

समकालीन कविताओं में व्यवस्था के विरूद्ध अनुगुंज

साहित्य समाज की दिषा एवं दषा का प्रतिबिम्ब होता है, जिसमें जहां एक ओर सभ्यता एवं संस्कृति के दर्षन होते हैं तो वहीं समाज के अंतरविरोधों के भी दर्षन होते हैं । आदिकाल, भक्ति काल, रीतिकाल से लेकर आधुनिक काल तक साहित्य मनिशियों ने तात्कालिक समाज के अंतर्द्वंद को ही उकेरा है । आधुनिक काल के छायावादी, प्रगतिवादी, प्रयोगवादी और नई कविताओं में उत्तरोत्तर नूतन दृश्टि, नूतन भाव-बोध, नूतन षिल्प विधान से नये सामर्थ्य से कविता सामने आई है, जो जन सामान्य की...

दैनिक जीवन में विज्ञान

प्रकृति को जानने समझने की जिज्ञासा प्रकति निर्माण के समान्तर चल रही है । अर्थात जब से प्रकृति का अस्तित्व तब से ही उसे जानने का मानव मन में जिज्ञासा है । यह जिज्ञासा आज उतनी ही बलवती है, जितना कल तक था । जिज्ञास सदैव असंतृप्त होता है । क्यों कैसे जैसे प्रष्न सदैव मानव मस्तिक में चलता रहता है । इस प्रष्न का उत्तर कोई दूसरे से सुन कर षांत हो जाते हैं तो कोई उस उत्तर को धरातल में उतारना चाहता है ।  अर्थात करके देखना चाहता, इसी जिज्ञासा से जो...

जेवारा (जंवारा)

हमर छत्तीसगढ़ मा शक्ति के अराधना के एक विशेषा महत्व हे । छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल से ले के मैदानी क्षेत्र तक आदि शक्ति के पूरा साल भर पूजा पाठ चलत रहिथे । आदि शक्ति अराधना के विशेषा पर्व होथे, जेला नवरात के नाम से जाने जाथे । नवारात पर्व एक साल मा चार बार होथे । दू नवारात ला गुप्त नवरात अउ दून ठन ला प्रगट नवरात कहे जाथे । प्रगट नवरात ला हम सब झन जानथन । पहिली नवरात नवासाल के शुरूच दिन ले शुरू होथे चइत नवरात जेला वासंतीय नवरात के नाम ले जाने जाथे...

संबंध पहले जन्म लिया या प्यार

लाख टके का प्रश्न है कि संबंध पहले जन्म लिया या प्यार । नवजात शिशु को कोई प्यार करता है इसलिये उसे पुत्र-पुत्री के रूप में स्वीकार करता है अथवा पुत्र-पुत्री मान कर उससे प्यार करता है । यदि पहले तर्क को सही माना जाये तो कोई भी व्यक्ति  किसी भी बच्चे को प्यार कर अपने संतान के रूप में स्वीकार कर सकता है अथवा स्वयं के संतान उत्पन्न होने पर कुछ दिन सोचेंगे कि इससे प्यार करे या ना करे कुछ दिनों पश्चात उस नवजात से प्रेम नही हो पाया तो उसे अपना संतान...

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