डायबिटिज के लिये डाइट प्लान
डायबिटीज का रोग वर्तमान में बहुत तीव्रगति से बढ़ रहा है । षारीरिक श्रम का अभाव तथा खान-पान में असंतुलन इस रोग का सामान्य कारण है मधुमेहरोगियों को एक तो गोलियों पर या इन्षुलिन पर निर्भर रहना पड़ता है । गोलियों का असर सिर्फ कुछ दिनों तक दिखायी देता है । जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, ऐलोपैथीकी गोलियोँ काम नहीं करतीं परिणामतः रक्त षर्करा बढ़ने लगता है, आँखें कमजोर होना, हृदय-विकार होना, किडनी का कमजोर होना प्रारंभ हो जाता है ।
आयुर्वेदीय साहित्य में षरीर एवं व्याधि दोनों को आहारसम्भव माना गया है-‘‘अहारसम्भवं वस्तु रोगाष्चाहारसम्भवः’’ । षरीर के उचित पोशण एवं रोगानिवारणार्थ सम्यक आहार-विहार (डाइट प्लान) का होना आवष्यक है । विषेश कर मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के लिये इसका विषेश महत्व है, डाइट प्लान की सहायता से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है ।
डायबिटिज डाइट प्लान क्या है ?
डायबिटिज के लिये डाइट प्लान एक स्वस्थ-भोजन योजना है, जो प्राकृतिक रूप से पोषक तत्वों से भरपूर होता है , जिसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि भोजन का चयन इस प्रकार हो कि उसमें वसा और कैलोरी की मात्रा कम हो। डायबिटिज डाइट प्लान में ऐसे आहार स्वीकार्य होते हैं जो षर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता हो ।
डायबिटिज डाइट प्लान की आवश्यकता क्यों है?
जब हम अतिरिक्त कैलोरी और वसा खाते हैं, तो हमारे शरीर में रक्त शर्करा में अवांछनीय वृद्धि हो जाता है। यदि रक्त शर्करा को नियंत्रित नहीं रखा जाता है, तो यह गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है, जैसे कि उच्च रक्त शर्करा का स्तर (हाइपरग्लाइसेमिया) जो लगातार रहने पर तंत्रिका, गुर्दे और हृदय की क्षति जैसे दीर्घकालिक जटिलताओं का कारण बन सकता है।
मधुमेह वाले अधिकांश लोगों के लिए, वजन घटाने से रक्त शर्करा को नियंत्रित करना आसान हो जाता है और अन्य स्वास्थ्य लाभ मिलते है। यदि हमको अपना वजन कम करने की आवश्यकता है, तो डाइट प्लान की आवष्यकता होती है । जिस प्रकार किसी भी कार्य को प्रिप्लान करने पर सफलता की संभावना अधिक होती है, उसी प्रकार डाइट प्लान भी रोग नियंत्रण में सफल होता है ।
डायबिटिज डाइट प्लान कैसे करें ?
इस संबंध में मैं कल्याण के आरोग्य विषेशांक में विद्वानों, डाक्टरों द्वारा दिये सुझावों का सरांष देना चाहूँगा जिसके अनुसार-डायबिटिज के रोगी को प्रातः भ्रमणोपरांत घर में जमा हुआ दही स्वेच्छानुसार थोड़ा सा जल, जीरा तथा नमक मिलाकर पीये । दही के अलावा चाय-दूध कुछ न ले । इसके साथे मेथी दाने का पानी, जाम्बुलिन, मूँग-मोठ आदि का प्रयोग रकें, इसके 3-4 घंटे बाद ही भोजन करें ।
भोजन में जौ-चने के आटे की रोटी, हरी षाक-सब्जी, सलाद और छाछ-मट्ठा का सेवन करें । भोजन करते हुए छाछ को घूँट-घूँट करके पीना चाहिये । भोजन के प्ष्चात फल लेना चाहिये ।
भोजन फुरसत के अनुसार नहीं निष्चित समय में ही लेना चाहिये । जितना महत्व भोजन चयन का उसके समतुल्य सही समय पर भोजन करना भी है । सही समय में सही भोजन रक्त षर्करा की मात्रा को सामान्य अवस्था में बनाये रखने में सहायक होता है ।
आहार में वसा, प्रोटीन कार्बोहाइर्डेट पदार्थ जैसे दूध, घी, तेल, सूखे मेवे, फल, अनाज, दाल आदि का प्रयोग नियंत्रित रूप से संतुलित मात्रा ग्रहण करें, अर्थात अधिक मात्रा में सेवन न करें । रेषोदार खाद्य पदार्थ जैसे हरी षाक, सलाद, आटे का चोकर, मौसमी फल, अंकुरित अन्न, समूची दाल का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिये ।
डायबिटिज के रोगियों को उचित डाइट के साथ-साथ दिनचर्या में सुधार करना चाहिये नित्य वायुसेवन (मार्निंग वाक), व्यायाम (वर्क आउट) भी करना चाहिये ।
डायबिटिज के लक्षण पाये जाने पर रोगियों चिंतित होन के बजाय अपने आहार-विहार एवं दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिये इसी से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है ।
-रमेशकुमार चौहान
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