साहित्य समाज की दिषा एवं दषा का प्रतिबिम्ब होता है, जिसमें जहां एक ओर सभ्यता एवं संस्कृति के दर्षन होते हैं तो वहीं समाज के अंतरविरोधों के भी दर्षन होते हैं । आदिकाल, भक्ति काल, रीतिकाल से लेकर आधुनिक काल तक साहित्य मनिशियों ने तात्कालिक समाज के अंतर्द्वंद को ही उकेरा है । आधुनिक काल के छायावादी, प्रगतिवादी, प्रयोगवादी और नई कविताओं में उत्तरोत्तर नूतन दृश्टि, नूतन भाव-बोध, नूतन षिल्प विधान से नये सामर्थ्य से कविता सामने आई है, जो जन सामान्य की...
शुक्रवार, 27 जनवरी 2017
दैनिक जीवन में विज्ञान
प्रकृति को जानने समझने की जिज्ञासा प्रकति निर्माण के समान्तर चल रही है । अर्थात जब से प्रकृति का अस्तित्व तब से ही उसे जानने का मानव मन में जिज्ञासा है । यह जिज्ञासा आज उतनी ही बलवती है, जितना कल तक था । जिज्ञास सदैव असंतृप्त होता है । क्यों कैसे जैसे प्रष्न सदैव मानव मस्तिक में चलता रहता है । इस प्रष्न का उत्तर कोई दूसरे से सुन कर षांत हो जाते हैं तो कोई उस उत्तर को धरातल में उतारना चाहता है । अर्थात करके देखना चाहता, इसी जिज्ञासा से जो...
जेवारा (जंवारा)
हमर छत्तीसगढ़ मा शक्ति के अराधना के एक विशेषा महत्व हे । छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल से ले के मैदानी क्षेत्र तक आदि शक्ति के पूरा साल भर पूजा पाठ चलत रहिथे । आदि शक्ति अराधना के विशेषा पर्व होथे, जेला नवरात के नाम से जाने जाथे । नवारात पर्व एक साल मा चार बार होथे । दू नवारात ला गुप्त नवरात अउ दून ठन ला प्रगट नवरात कहे जाथे । प्रगट नवरात ला हम सब झन जानथन । पहिली नवरात नवासाल के शुरूच दिन ले शुरू होथे चइत नवरात जेला वासंतीय नवरात के नाम ले जाने जाथे...
संबंध पहले जन्म लिया या प्यार
लाख टके का प्रश्न है कि संबंध पहले जन्म लिया या प्यार । नवजात शिशु को कोई प्यार करता है इसलिये उसे पुत्र-पुत्री के रूप में स्वीकार करता है अथवा पुत्र-पुत्री मान कर उससे प्यार करता है । यदि पहले तर्क को सही माना जाये तो कोई भी व्यक्ति किसी भी बच्चे को प्यार कर अपने संतान के रूप में स्वीकार कर सकता है अथवा स्वयं के संतान उत्पन्न होने पर कुछ दिन सोचेंगे कि इससे प्यार करे या ना करे कुछ दिनों पश्चात उस नवजात से प्रेम नही हो पाया तो उसे अपना संतान...
बुधवार, 27 अप्रैल 2016
‘पानी के कमी कइसे दूर होही ?‘

‘पानी के कमी कइसे दूर होही ?‘आज के यक्ष प्रश्न होगे हे, गांव-गांव, शहर-शहर मा ‘पानी के कमी कइसे दूर होही ?‘ जेन ला देखव तेन हा कहत हे- पानी के कम उपयोग कर बाबू, पानी के बचत कर । गांव-गांव, शहर-शहर मा पानी के मारा-मारी हे । अइसे पहिली बार होय हे के पानी बर पहरा लगाये जात हे । पुलिस ला पानी बचाय बर लगाये जात हे । कोनो समस्या न तत्कालिक पैदा होवय...
गुरुवार, 17 मार्च 2016
उमंग के तिहार होरी
मार्च 17, 2016
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हर समाज के अपन सांस्कृतिक विरासत होथे । ऐला जीये मा अपने अलग मजा होथे । इही विरासत मा हमर देश के प्रमुख तिहार हे होली । ये होली ला हमर छत्तीसगढ़ मा होरी कहे जाथे । अइसे तो छत्तीसगढ़ के हर परब मा हमर लोकगीत हा परब मा चार चांद लगा देथे फेर होरी के फाग गीत के बाते अलग हे । होरी तिहार के फाग मा झुमरत नाचत संगी मन ला देख के अइसे लगते होरी हा गीत अउ उमंग के तिहार आय । छत्तीसगढ़ मा ये तिहार प्रमुख रूप ले दू ढंग ले मनाय जाथे पहिली मैदानी इलका...
सोमवार, 28 दिसंबर 2015
आत्म सम्मान ला जींदा रहन दौव
दिसंबर 28, 2015
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पहिली के सियान मन कहंय जेखर स्वाभिमान मरगे ओ आदमी जीते-जीयत मरे के समान हे । ये स्वाभिमान आय का ? स्वाभिमान हा अपन खुद के क्षमता ऊपर विश्वास आय ये कोनो अभिमान या घमंड नो हय । आत्म सम्मान के भावना ला, अपन प्रतिष्ठा ला बचाये रखे के भाव ला आत्म सम्मान कहे जाथे । फेर आज काल ऐखर परिभाशा हा बदले-बदले लगथे । केवल अपन ठसन देखाना ला ही आत्म सम्मान याके स्वाभिमान माने लगें हें । ठसन आय का ? अपन क्षमता के प्रदर्शन खास करके धन-दोगानी के प्रदर्शन ला...
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राउत नाचा अउ ओखर दोहा मा पर्यावरण -रमेशकुमार सिंह चौहान राउत नाचा हमर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोवर आवय । हालाकि राउत ना...
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मुक्तक की परिभाषा- ‘अग्निपुराण’ में मुक्तक को परिभाषित करते हुए कहा गया किः ”मुक्तकं श्लोक एवैकश्चमत्कारक्षमः सताम्” अर्थात चमत्कार की क्ष...
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मात्रा गणना का सामान्य नियम - क्रमांक १ - सभी व्यंजन ( बिना स्वर के ) एक मात्रिक होते हैं जैसे - क , ख , ग , घ , च ...
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ददरिया हमर छत्तीसगढ़ प्राकृतिक छटा ले जतका भरे - पूरे हे ओतके अपन लोकगीत ले घला अटे परे हे हर उत्सव के गीत हे इहां...
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‘‘गुरू की सर्वव्यापकता‘‘ - रमेशकुमार सिंह चौहान भारतीय जीवनशैली गुरू रूपी सूर्य के तेज से आलोकित है । भारतीय साहित्य संस्कृत से ल...
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शमि गणेश मंदिर नवागढ गांव नवागढ़ मोर हे, छत्तीसगढ़ म एक । नरवरगढ़ के नाव ले, मिले इतिहास देख ।। मिले इतिहास देख, गोड़वाना के चिन्हा । ...
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‘‘साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का योगदान‘‘ -रमेशकुमार सिंह चैहान आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार -‘साहित्य ज...
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पहिली के सियान मन कहंय जेखर स्वाभिमान मरगे ओ आदमी जीते-जीयत मरे के समान हे । ये स्वाभिमान आय का ? स्वाभिमान हा अपन खुद के क्षमता ऊपर वि...
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‘‘गांव होवय के देश सबो के आय‘‘ मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । अकेल्ला मा दूये परकार के ...
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बहर मात्राओं के क्रम को ही बहर कहा जाता है । जिस प्रकार हिन्दी में गण होता है उसी प्रकार उर्दू में रू...