डायबिटिज के लिये डाइट प्लान
डायबिटीज का रोग वर्तमान में बहुत तीव्रगति से बढ़ रहा है । षारीरिक श्रम का अभाव तथा खान-पान में असंतुलन इस रोग का सामान्य कारण है मधुमेहरोगियों को एक तो गोलियों पर या इन्षुलिन पर निर्भर रहना पड़ता है । गोलियों का असर सिर्फ कुछ दिनों तक दिखायी देता है । जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, ऐलोपैथीकी गोलियोँ काम नहीं करतीं परिणामतः रक्त षर्करा बढ़ने लगता है, आँखें कमजोर होना, हृदय-विकार होना, किडनी का कमजोर होना प्रारंभ...
रविवार, 1 मार्च 2020
शनिवार, 12 अक्टूबर 2019
परिवार का अस्तित्व

परिवार का अस्तित्व
हम बाल्यकाल से पढ़ते आ रहे हैं की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और समाज का न्यूनतम इकाई परिवार है । जब हम यह कहते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं तो इसका अर्थ क्या होता है ? किसी मनुष्य का जीवन समाज में उत्पन्न होता है और समाज में ही विलीन हो जाता है । सामाज का नींव परिवार है ।
परिवार...
सोमवार, 1 जुलाई 2019
शुगर से बचाव
डायबिटिज क्या है ?
डायबिटीज या शुगर या मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो तब होती है जब हमारा रक्त शर्करा बहुत अधिक होती है । रक्त ग्लूकोज हमारे ऊर्जा का मुख्य स्रोत है और हमारे द्वारा खाए गए भोजन से आता है। इंसुलिन, एक हार्मोन है जो अग्न्याशय द्वारा बनाया जाता है, भोजन से ग्लूकोज को हमारी कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए उपयोग करने में मदद करता है। कभी-कभी हमारा शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है...
शनिवार, 21 जुलाई 2018
‘‘गुरू की सर्वव्यापकता‘‘

‘‘गुरू की
सर्वव्यापकता‘‘
- रमेशकुमार
सिंह चौहान
भारतीय जीवनशैली गुरू रूपी सूर्य के तेज से आलोकित है । भारतीय साहित्य संस्कृत से लेकर विभिन्न भारतीय भाषाओं तक गुरू
महिमा से भरा पड़ा है । भारतीय जनमानस में गुरू पूर्णतः रचा बसा हुआ है । गुरू स्थूल
से सूक्ष्म, सहज से क्लिष्ठ, गम्य से अगम्य, साधारण से विशेष, जन्म से मृत्यु, तक व्याप्त
है । ‘‘गुरू...
शुक्रवार, 20 जुलाई 2018
मुक्तक-4 (मात्रा गणना का समान्य नियम)
मात्रा गणना का सामान्य नियम-
क्रमांक १ - सभी व्यंजन (बिना स्वर के) एक मात्रिक होते हैं
जैसे - क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट ... आदि १ मात्रिक हैं ।
क्रमांक २ - अ, इ, उ स्वर व अनुस्वर चन्द्रबिंदी तथा इनके साथ प्रयुक्त व्यंजन एक मात्रिक होते हैं ।
जैसे - अ, इ, उ, कि, सि, पु, सु हँ आदि एक मात्रिक हैं ।
क्रमांक ३ - आ, ई, ऊ ए ऐ ओ औ अं स्वर तथा इनके साथ प्रयुक्त व्यंजन दो मात्रिक होते हैं
जैसे -आ, सो, पा, जू, सी, ने, पै, सौ, सं आदि २ मात्रिक...
लोकप्रिय पोस्ट
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राउत नाचा अउ ओखर दोहा मा पर्यावरण -रमेशकुमार सिंह चौहान राउत नाचा हमर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोवर आवय । हालाकि राउत ना...
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मुक्तक की परिभाषा- ‘अग्निपुराण’ में मुक्तक को परिभाषित करते हुए कहा गया किः ”मुक्तकं श्लोक एवैकश्चमत्कारक्षमः सताम्” अर्थात चमत्कार की क्ष...
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मात्रा गणना का सामान्य नियम - क्रमांक १ - सभी व्यंजन ( बिना स्वर के ) एक मात्रिक होते हैं जैसे - क , ख , ग , घ , च ...
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ददरिया हमर छत्तीसगढ़ प्राकृतिक छटा ले जतका भरे - पूरे हे ओतके अपन लोकगीत ले घला अटे परे हे हर उत्सव के गीत हे इहां...
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‘‘गुरू की सर्वव्यापकता‘‘ - रमेशकुमार सिंह चौहान भारतीय जीवनशैली गुरू रूपी सूर्य के तेज से आलोकित है । भारतीय साहित्य संस्कृत से ल...
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शमि गणेश मंदिर नवागढ गांव नवागढ़ मोर हे, छत्तीसगढ़ म एक । नरवरगढ़ के नाव ले, मिले इतिहास देख ।। मिले इतिहास देख, गोड़वाना के चिन्हा । ...
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‘‘साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का योगदान‘‘ -रमेशकुमार सिंह चैहान आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार -‘साहित्य ज...
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पहिली के सियान मन कहंय जेखर स्वाभिमान मरगे ओ आदमी जीते-जीयत मरे के समान हे । ये स्वाभिमान आय का ? स्वाभिमान हा अपन खुद के क्षमता ऊपर वि...
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‘‘गांव होवय के देश सबो के आय‘‘ मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । अकेल्ला मा दूये परकार के ...
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बहर मात्राओं के क्रम को ही बहर कहा जाता है । जिस प्रकार हिन्दी में गण होता है उसी प्रकार उर्दू में रू...