पाछू पाठ मा मात्रा गिने के तरीका छंद के प्रकार मा चर्चा करेन । अब अपन चर्चा ला कोनो छंद विशेष मा केंद्रित करथन । सबले प्रचलित छंद ‘दोहा‘ हे । दोहा के बारे मा चर्चा करे के पहिली कुछ दोहा ला ध्यान से देखथन -
श्री गुरू चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि ।
बरनउ रघुबर विमल जस, जो दायक फल चारि ।।
-संत तुलसी दासजी
आवत गारी एक है, उलटत होत अनेक ।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक के एक ।।
- संत कबीर दासजी
मुहमद बाजी पैम के, ज्यौं भावै त्यों खेल ।।
तिल फूलहिं के संग ज्यौं, होइ फुलायल तेल ।।
- मलिक मोहम्मद जायसी
पांव जान पनही मिलय, घोड़ा जान असवार ।
सजन जान समधी मिलय, करम जान ससुरार ।।
- कोदूराम ‘दलित‘
जुगत करौ अइसन कुछू, हे गणपति गनराज ।
सत साहित मा बूड़ के, सज्जन बने समाज ।।
- श्री अरूण निगम
बरनउ रघुबर विमल जस, जो दायक फल चारि ।।
-संत तुलसी दासजी
आवत गारी एक है, उलटत होत अनेक ।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक के एक ।।
- संत कबीर दासजी
मुहमद बाजी पैम के, ज्यौं भावै त्यों खेल ।।
तिल फूलहिं के संग ज्यौं, होइ फुलायल तेल ।।
- मलिक मोहम्मद जायसी
पांव जान पनही मिलय, घोड़ा जान असवार ।
सजन जान समधी मिलय, करम जान ससुरार ।।
- कोदूराम ‘दलित‘
जुगत करौ अइसन कुछू, हे गणपति गनराज ।
सत साहित मा बूड़ के, सज्जन बने समाज ।।
- श्री अरूण निगम
चार चरण दू डांड़ के, होथे दोहा छंद ।
तेरा ग्यारा होय यति, रच ले तै मतिमंद ।।
तेरा ग्यारा होय यति, रच ले तै मतिमंद ।।
विषम चरण के अंत मा, रगण नगण तो होय ।
तुक बंदी सम चरण रख, अंत गुरू लघु होय ।।
- रमेश चौहान
तुक बंदी सम चरण रख, अंत गुरू लघु होय ।।
- रमेश चौहान
ये दोहा मन ला पढ़े के बाद, कोनो एक दोहा के मात्रा गिन के देखथन-
श्री-2, गुरू-2 चरन-3 सरोज-4 रज-2,
निज-2 मनु-2 मुकुर-3 सुधारि-4 ।
बरनउ-4 रघुबर-4 विमल-3 जस-2,
जो-2 दायक-4 फल-2 चारि-3 ।
निज-2 मनु-2 मुकुर-3 सुधारि-4 ।
बरनउ-4 रघुबर-4 विमल-3 जस-2,
जो-2 दायक-4 फल-2 चारि-3 ।
कुल मात्रा -
पहिली चरण मा -2,2,3,4,2 कुल 13
दूसरा चरण मा 2,2,3,4 कुल 11
तीसर चरण मा 4,4,3,2 कुल 13
चैथा चरण मा 2,4,2,3 कुल 11
पहिली चरण मा -2,2,3,4,2 कुल 13
दूसरा चरण मा 2,2,3,4 कुल 11
तीसर चरण मा 4,4,3,2 कुल 13
चैथा चरण मा 2,4,2,3 कुल 11
ये परकार विषम चरण (पहिली अउ तीसर) मा 13 मात्रा, अउ सम चरण मा (दूसर अउ चैथा) मा 11 मात्रा हे ।
ये परकार दोहा मा दू डांड अउ चार चरण हे जेमा 13, 11 मा यति होथे । अब ये सोचे के हे का 13,11 मात्रा भर होय ले दोहा हो जही का ता ऐखर उत्तर हे नही । केवल 13,11 भर होय ले दोहा नई होवय । आने लक्षण अउ ये दोहा मन ले समझे के कोशिश करथन -
सबो दोहा के विषम चरण के अंतला देखथन -
ये परकार दोहा मा दू डांड अउ चार चरण हे जेमा 13, 11 मा यति होथे । अब ये सोचे के हे का 13,11 मात्रा भर होय ले दोहा हो जही का ता ऐखर उत्तर हे नही । केवल 13,11 भर होय ले दोहा नई होवय । आने लक्षण अउ ये दोहा मन ले समझे के कोशिश करथन -
सबो दोहा के विषम चरण के अंतला देखथन -
1. ‘सरोज रज‘ अउ ‘विमल जस‘
2. ‘एक है‘ अउ ‘उलटिए‘
3. ‘पैम के‘ अउ ‘संग ज्यौं‘
4. ‘पनही मिलय‘ अउ ‘समधी मिलय‘
5. ‘अइसन कुछू‘ अउ ‘बूड़ के‘
6. ‘डांड़ के‘ अउ ‘होय यति‘
7. ‘अंत मा‘ अउ ‘चरण रख‘
2. ‘एक है‘ अउ ‘उलटिए‘
3. ‘पैम के‘ अउ ‘संग ज्यौं‘
4. ‘पनही मिलय‘ अउ ‘समधी मिलय‘
5. ‘अइसन कुछू‘ अउ ‘बूड़ के‘
6. ‘डांड़ के‘ अउ ‘होय यति‘
7. ‘अंत मा‘ अउ ‘चरण रख‘
येमन ला ध्यान से देखव विषम चरण के अंत मा 1,1,1 या 2,1,2 या 1,1,2 आय हे । ये परकार दोहा के दूसर विषेशता हे विषम चरण के अंत मा 1,1,1 या 2,1,2 या 1,1,2 होना चाही ।
अब सम चरण के अंत ला देखथन-
अब सम चरण के अंत ला देखथन-
1. ‘मुकुर सुधारि‘ अउ ‘फल चारि‘
2. ‘होत अनेक‘ अउ ‘एक के एक‘
3. ‘खेल‘ अउ ‘तेल‘
4. ‘असवार‘ अउ ‘ससुरार‘
5. ‘गनराज‘ अउ ‘समाज‘
6. ‘छंद‘ अउ ‘मतिमंद‘
7. ‘तो होय‘ अउ ‘लघु होय‘
2. ‘होत अनेक‘ अउ ‘एक के एक‘
3. ‘खेल‘ अउ ‘तेल‘
4. ‘असवार‘ अउ ‘ससुरार‘
5. ‘गनराज‘ अउ ‘समाज‘
6. ‘छंद‘ अउ ‘मतिमंद‘
7. ‘तो होय‘ अउ ‘लघु होय‘
ये मन देखे मा स्पष्ट हे के सम चरण के आखरी मा 2,1 मात्रा होना जरूरी हे अउ संगे संग दूनो सम चरण के अंत मा तुक समान होना चाही ।
कल नियम ले हम जानथन के सम कल के पाछू सम कल अउ विषम कल के पाछू विषम कल आना चाही । ये परकार दोहा के विषम चरण मा -4,4,2,3 या 3,3,2,3,2 मात्रा रखना चाही । येही परकार सम चरण मा 4,4,3 या 3,3,2,3 मात्रा होना चाही ।
कल नियम ले हम जानथन के सम कल के पाछू सम कल अउ विषम कल के पाछू विषम कल आना चाही । ये परकार दोहा के विषम चरण मा -4,4,2,3 या 3,3,2,3,2 मात्रा रखना चाही । येही परकार सम चरण मा 4,4,3 या 3,3,2,3 मात्रा होना चाही ।
ये परकार दोहा 13,11 यति के दू डांड के होथे जेखर विषम चरण के अंत मा 1,1,1, या 2,1,2 या 1,1,2 मात्रा अउ सम चरण के अंत मा 2,1 मा़त्रा होना ही चाही । ये नियम ले परे हा दोहा नई हो सकय । नियम मा बंध के दोहा लिखे जाथे अजरा लय प्रधान बना के कहई हा दोहा नई होवय ।
अउ दोहा देख लव-
मुखिया मुख सो चाहिये, खान पान को एक ।
पालय पोषय सकल अॅंग, तुलसी सहित विवेक ।। -तुलसी दासजी
पालय पोषय सकल अॅंग, तुलसी सहित विवेक ।। -तुलसी दासजी
ये दोहा के मात्रा गिन के देखी ता पाथन-
विषम चरण 4,2,2,2,3 अउ सम चरण 3,3,2,3
विषम चरण 2,4,2,3,2 अउ सम चरण 4,3,4 हे ।
विषम चरण 2,4,2,3,2 अउ सम चरण 4,3,4 हे ।
विषम चरणके अंत मा पहिली 2,1,2 अउ दूसर मा 1,1,1 हे ।
सम चरण के अंत मा पहिली 2,1 दूसर मा 2,1 हे ।
ये परकार स्पष्ट हे चरणांत क नियम ओतके जरूरी जतका कुल 13, 11 होना जरूरी हे ।
सम चरण के अंत मा पहिली 2,1 दूसर मा 2,1 हे ।
ये परकार स्पष्ट हे चरणांत क नियम ओतके जरूरी जतका कुल 13, 11 होना जरूरी हे ।
आशा हे ये नियम आप मन ला समझ आ आइस होही । अउ ये नियम के उपयोग करके आपमन दोहा बनाहू । कोनो बात रहिगीस होही के स्पष्ट नई होत होही ता पूछ लेहू अउ जानकार भाई मन ओ बात ला आघू ला देहू । जेखर ले पाठक मन लाभ उठा सकय ।
ये लेख ला लिखे के पाछू अपन आप ला छंदविद के रूप प्रस्तुत करना कतई नई हे, बल्कि छत्तीसगढी मा जादा ले जादा भाई मन छंद लिखय अइसे अभिलासा हे ।
ये लेख ला लिखे के पाछू अपन आप ला छंदविद के रूप प्रस्तुत करना कतई नई हे, बल्कि छत्तीसगढी मा जादा ले जादा भाई मन छंद लिखय अइसे अभिलासा हे ।
-रमेश चौहान
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