छंद सीखवजी -1
आपमन ला जान के खुशी होही के छंद हर हमर छत्तीसगढ़ मा जनमे हवय । हमर छत्तीसगढ़ मा आदिकवि महर्षि बालमिकी के आश्रम रहिस, एक दिन ओ हर सारस चिरई के जोडा ला प्रेम अलाप करत देखिस ओखर देखते देखत एक झन सिकारी हा ओमा के नर सारस ला मार दिस, तेखर दुख मा मादा सारस हा रोय लगिस ओला रोवत देख के बालमिकी के मुॅह ले अपने अपन निकल गे-
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥'
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥'
जेला दुनिया के पहिली छंद ‘अनुष्टुप छंद‘ कहे गिस । ये परकार छंद हमर छत्तीसगढ के देन आय ।
फेर दुख ये बात के हे के येही छत्तीसगढ़ मा छंद मा लिखईया मन के संख्या न के बराबर हे । संगी हो छंद मा लिखना कोनो बड़े बात नई हे, आप सब छंद मा अपन रचना लिख सकत हव जरूरत हे, केवल आपके इच्छा शक्ति के, आपके लगन के ।
छंद सीखे के पहिली हमला जाने ला परही आखिर छंद कथे काला । ‘कविता के अनुसासन ला छंद कहे जाथे ।‘ मातरा, आखर के रचना, विराम गति के नियम अउ एके जइसे पदांत जेन कविता मा पाय जाथे ओला छन्द कथें ।
छंद सीखे बर सबले पहिली मातरा गिने बर आना चाही । त संगी हो आवव ये पहिली पाठ मा मातरा गिने बर सिखी -
हिन्दी वर्णमाला के दू भाग होथे -स्वर अउ व्यंजन
स्वर- अ, आ, इ, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ औ, अं अउ अः
व्यंजन- क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ ´
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, य, र
ल, व, ष, श, स ह
संयुक्त व्यंजन- क्ष, त्र, ज्ञ, ढ़,:-!
स्वर- अ, आ, इ, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ औ, अं अउ अः
व्यंजन- क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ ´
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, य, र
ल, व, ष, श, स ह
संयुक्त व्यंजन- क्ष, त्र, ज्ञ, ढ़,:-!
येही स्वर अउ व्यंजन के उच्चारण मा जेन बेरा लगथे तेला मातरा कहे जाथे । जेमा एक चुटकी बजाय के बेरा लगथेे ओला लघु कहे जाथे अउ ऐखर दुगन समय लगे मा ऐला गुरू कहे जाथे ।
स्वर मा ‘अ‘, ‘इ‘, अउ ‘उ‘ लघु होथे बाकी स्वर मन गुरू कहाथे । लघु के एक मातरा अउ गुरू के दु मातरा गिने जाथे ।
स्वर मा ‘अ‘, ‘इ‘, अउ ‘उ‘ लघु होथे बाकी स्वर मन गुरू कहाथे । लघु के एक मातरा अउ गुरू के दु मातरा गिने जाथे ।
व्यंजन मन कोनो ना कोनो स्वर के भार लगे रहिथे ओही भार के अनुसार व्यंजन के मातरा तय करे जाथे । जइसे सबो व्यंजन मा स्वाभाविक रूप ले ‘अ‘ के भार आरोपित रहिथे ते पाके सबो व्यंजन लघु होथे जेखर मातरा एक होथे । व्यंजन मा ‘इ‘ अउ ‘उ‘ के मातरा लगे मा घला ये मन लघु रहिथे । कहूं व्यंजन मा गुरू स्वर लगे रहय ता ओ हर गुरू माने जाथे । जइसे -‘का‘ ‘खी‘, ‘गू‘, ‘घे‘, ‘पै‘, ‘नो‘, ‘मौ‘, ‘गं‘ ।
अब हम कुछ आखर लेके ओखर मातरा गिने के अम्यास करी-
राम - रा+म ऐमा ‘रा‘ गुरू हे जेखर भार 2 अउ ‘म‘ ह लघु हे जेखर भार 1 ये परकार ‘राम‘ के 3 मातरा होइस ।
राम - राम+म =2+1=3
गणेष- ग+णे+ष = 1+2+1 = 4
हगरू- ह+ग+रू =1+1+2 = 4
कुंवरिया- कुं+व+रि+या = 2+1+1+2 = 6
अइसने अइसने कोनो आखर ले के पहिली अभ्यास कर लव ।
अब मातरा गिने के दूसर नियम ला देखी आधा आखर वाले सब्द के
जइसे -‘प्यार‘, ‘रक्सा‘ जइसन ।
आधा आखर आय मा दु बात आथे -
1. पूरा वर्ण के आघू मा आय मा जइसे -‘प्यार‘ अइसन होय मा ये आध वर्ण ‘प्‘ के कोनो गिनती नइ होवय ।
2. पूरा वर्ण के पाछू मा आय मा लइसे‘ ‘रक्सा‘ ध्यान रखिहव ऐमर ‘क्‘ हा ‘र‘ के पाछू मा हे ना कि ‘सा‘ के आघू मा । जब आधा वर्ण पाछू मा आथे ता अपन आघू वाले लघु व्यंजन या स्वर ला गुरू बना देथे । जइसे ऐमेरा -‘रक्सा‘ मा ‘क्‘ ह लघु ‘र‘ ला गुरू बना दे थे ये परकार ‘रक्सा‘ मा ‘रक्‘ के 2 मातरा अउ ‘सा‘ के 2 मातरा होइस।
3. आधा आखर के आय मा एक बात ध्यान रखे ला परथे के आधा आखर के उच्चारण के भार आघू वर्ण संग के पाछू वर्ण संग ।
जइसे-‘रक्सा‘ के उच्चारण ‘रक्$सा‘ होही ना कि ‘र$क्सा‘
फेर ‘कन्हैया‘ के उच्चारण ‘क$न्हैया‘ होथे ना कि ‘कन्$हैया
अइसन स्थिति मा आधा के भार ओखरे संग होथे जेखर संग ओखर उच्चारण होथे ।
राम - राम+म =2+1=3
गणेष- ग+णे+ष = 1+2+1 = 4
हगरू- ह+ग+रू =1+1+2 = 4
कुंवरिया- कुं+व+रि+या = 2+1+1+2 = 6
अइसने अइसने कोनो आखर ले के पहिली अभ्यास कर लव ।
अब मातरा गिने के दूसर नियम ला देखी आधा आखर वाले सब्द के
जइसे -‘प्यार‘, ‘रक्सा‘ जइसन ।
आधा आखर आय मा दु बात आथे -
1. पूरा वर्ण के आघू मा आय मा जइसे -‘प्यार‘ अइसन होय मा ये आध वर्ण ‘प्‘ के कोनो गिनती नइ होवय ।
2. पूरा वर्ण के पाछू मा आय मा लइसे‘ ‘रक्सा‘ ध्यान रखिहव ऐमर ‘क्‘ हा ‘र‘ के पाछू मा हे ना कि ‘सा‘ के आघू मा । जब आधा वर्ण पाछू मा आथे ता अपन आघू वाले लघु व्यंजन या स्वर ला गुरू बना देथे । जइसे ऐमेरा -‘रक्सा‘ मा ‘क्‘ ह लघु ‘र‘ ला गुरू बना दे थे ये परकार ‘रक्सा‘ मा ‘रक्‘ के 2 मातरा अउ ‘सा‘ के 2 मातरा होइस।
3. आधा आखर के आय मा एक बात ध्यान रखे ला परथे के आधा आखर के उच्चारण के भार आघू वर्ण संग के पाछू वर्ण संग ।
जइसे-‘रक्सा‘ के उच्चारण ‘रक्$सा‘ होही ना कि ‘र$क्सा‘
फेर ‘कन्हैया‘ के उच्चारण ‘क$न्हैया‘ होथे ना कि ‘कन्$हैया
अइसन स्थिति मा आधा के भार ओखरे संग होथे जेखर संग ओखर उच्चारण होथे ।
अब कुछ अभ्यास करके देखी-
प्यार- प्या+र = 2+1 = 3
पप्पू- पप् + पू = 2+2 = 4
प्यार- प्या+र = 2+1 = 3
पप्पू- पप् + पू = 2+2 = 4
अइसने-अइसने आप खुद अभ्यास करके देखव कुछ तकलीफ आही ता पूछ सकत हव ।
अतका अभ्यास करे के बाद आघू दिन अवइया पाठ मा अउ गोठ बात करबो ।
जय जोहार ।
जय जोहार ।
-रमेश चौहान
बहुत बढ़िया जानकारी चौहान जी बधाई हो
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