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सोमवार, 20 अप्रैल 2020

गैस्ट्रिक का घरेलू उपचार

गैस्ट्रिक का घरेलू उपचार



आज के व्यवस्तम काम-काजी परिवेश में लोगों को कई छोटे-बड़े रोग हो रहे है । अब कुछ रोगों का होना जैसे सामान्य बात हो गई है । डाइबिटिज, ब्लड़ प्रेसर जैसे प्रचलित रोगों सा एक रोग गैस्ट्रिक भी है इस रोग में वायु आवश्यकता से अधिक बनता है । यह अनियमित खान-पान के कारण अपच की स्थिति बनने के कारण उत्पन्न होता है ।  कई लोग ऐसे अनुभव करते हैं कि काफी करकेे उपचार कराने पर भी गैस्ट्रिक से छूटकारा नहीं मिल रहा है ।
यह अनुभव किया गया है कि घर में रात-दिन उपयोग में आनेवाली वस्तुओं से कुछ रोगों में निश्चित रूप से उपयोगी है ।
गैस्ट्रिक के निदान के लिये आज आयुर्वेद अनुशंसित एक घरेलू उपचार पर चर्चा करेंगे । यह एक अनुभत प्रयोग है । इसे घर में प्रयुक्त अजवाइन और काले नमक से बनाया जा सकता है । इसे बनाने के लिये आवश्यक सामाग्री और बनाने की विधि निम्नानुसार है -

औषधी निर्माण के लिये आवश्यक सामाग्री-

1. 250 ग्राम अंजवाइन
2. 50 ग्राम काला नमक

औषधी बनाने की विधि-

1. 250 ग्राम अंजवाइन लेकर इसे साफ कर ले ।
2. इस अंजवाइन को दो बराबर भागों में बांट दें ।
3. एक भाग को तेज धूप में अच्छे से सूखा दें ।
4. इस सूखे हुये अंजवाइन को पीस कर चूर्ण बना लें ।
5. शेष दूसरे भाग को मध्यम आंच पर तवे में भुन ले ।
6. इस भुने हुये अंजवाइन को पीस कर चूर्ण बना लें ।
7. काले नमक को साफ कर पीस कर चूर्ण बना लें ।
8. आपके पास तीन प्रकार के चूर्ण हो गये हैं-धूप में सूखा अंजवाइन का चूर्ण, भुने हुये अंजवाइन का चूर्ण एवं काले नमक का चूर्ण ।
9. इन तीनों चूर्णो को आपस में अच्छे से मिला दें ।
10. इस मिश्रण को एक साफ एवं नमी रहित ढक्कन युक्त कांच के बोतल में रख लें । यह उपयोग हेतु औषधी तैयार हो गया ।

सेवन विधी- 

प्रतिदिन दोनों समय भोजन करने के पूर्व एक चाय चम्मच चूर्ण शुद्ध ताजे जल के साथ सेवन करें । भोजन कर लेने के तुरंत पश्चात फिर एक चम्मच इस चूर्ण का सेवन जल से ही करें ।
इस प्रकार नियमित एक सप्ताह तक सेवन करने से आपको यथोचित लाभ दिखने लगे गा ।

पथ्य-अपथ्य-

कोई भी औषधी तभी कारगर होता है जब उसका नियम पूर्वक सेवन किया जाये । औषधि सेवन के दौरान क्या खाना चाहिये और क्या नही खाना चाहिये इसका ध्यान रखा जाये ।

औषधी सेवन काल में गरिष्ठ भोजन जैसे अधिक तेल, मिर्च-मसाले वाले भोजन न करें साथ ही उड़द की दाल, केला, बैंगन, भैंस का दुगध उत्पाद का सेवन न करें ।  इस अवधी में चावल न लें अथवा कम लें चावल के स्थान पर रोटी का सेवन अधिक लाभकारी होगा ।

घरेलू उपचार प्राथमिक उपचार के रूप में सुझाया गया है । इसका सेवन करना या न करना आपके विवेक  पर निर्भर करता है । हाँ, यह अवश्य है इस औषधी से निश्चित रूप लाभ होगा । इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है । फिर भी आपके रोग की जानकारी आपको एवं आपके डाक्टर को ही अच्छे से है इसलिये अपने डाक्टर का सलाह अवश्य लें ।

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