छंद के बारेे मा आघू बढे के पहिली पाछू के पाठ याद कर ली-
आखर के दू भेद हे, स्वर व्यंजन हे नाम ।‘अ‘, ‘इ‘, ‘उ‘ कहाथे हास्व स्वर, बाकी ल गुरू जान ।बाकी ल गुरू जान, भार लघु के हे दुगना ।व्यंजन हास्व कहाय, लगे जेमा लघु स्वर ना ।।व्यंजन गुरू कहाय, गुरू स्वर ले हो साचर ।आघू के ला गुरू, बनाथे आधा आखर ।।
आज हमन ‘कल‘ के बारे मा जाने के कोसिस करबो । सबले पहिली देखी - ‘कल‘ काला कथे-कोनो सब्द मा मातरा के कुल भार ला ‘कल‘ कहिथे, ओखरे हिसाब से ऐखर नाम एकल,...
शुक्रवार, 6 नवंबर 2015
छंद सीखवजी -1
नवंबर 06, 2015
1 comment
छंद सीखवजी -1
आपमन ला जान के खुशी होही के छंद हर हमर छत्तीसगढ़ मा जनमे हवय । हमर छत्तीसगढ़ मा आदिकवि महर्षि बालमिकी के आश्रम रहिस, एक दिन ओ हर सारस चिरई के जोडा ला प्रेम अलाप करत देखिस ओखर देखते देखत एक झन सिकारी हा ओमा के नर सारस ला मार दिस, तेखर दुख मा मादा सारस हा रोय लगिस ओला रोवत देख के बालमिकी के मुॅह ले अपने अपन निकल गे-
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥'
जेला दुनिया के पहिली छंद ‘अनुष्टुप...
सोमवार, 28 सितंबर 2015
जनकवि कोदूराम ‘दलित‘

साहित्यकार के एक अच्छा परिचय उन्खर साहित्य ले ही होथे । रचनाकार के व्यक्तित्व, चरित्र, स्वभाव अउ दृष्टिकोण सबो उन्खर कृति ले दरपन मा बने परछाई कस दिखथे । स्व. कोदूराम ला जब जनकवि कहे गे हे ता ऐखरे ले स्पष्ट हे इंखर रचना मा आमजन के पीरा के आंसू छलकत हे, ऐही पीरा के सेती तब ले अब तक आम जन मन घला आप ला जानत हे ।...
गुरुवार, 3 सितंबर 2015
//कमरछठ या खमरछठ या हलषष्ठी//

हर साल भादो महिना के अंधियारी पाख के छठ तिथि के शेषावतार भगवान बलराम के जन्म उत्सव के रूप मा मनाय जाथे । ये दिन मथुरा सहित देश के सबो बलराम/बलदाउ/हलधर के मंदिर मा पूजा पाठ करके ओखर जनम दिन मनाये जाथे ।
छत्तीसगढ मा घला ये पर्व के रूप मा मनाय जाथे । ये दिन संतान के सुख समृद्धि अउ दीर्घायु बर माता मन उपास रहिथे ये दिन नागर चले जगह मा रेंगना...
मंगलवार, 26 मई 2015
‘कला परम्परा‘ के सरजक -माननीय डी.पी. देशमुख

हमर छत्तीसगढ़ के माटी मा तइहा ले आज तक नाना परकार के परम्परा अउ संस्कृति रचे बसे हवय जेमा के बहुत अकन परम्परा काल के गाल मा समावत हे, ये परम्परा मन नंदावत जात हे, फेर ऐला बहुत हद तक हमर कलाकार अउ कलमकार मन साधे रखें हे । हमर छत्तीसगढ मा कला अउ साहित्य के नाना विधा के साधक मन भरे परे हे, चाहे वो...
शनिवार, 23 मई 2015
हमर छत्तीसगढ़ी भासा ला आठवीं अनुसूची मा सामील करायके परयास
छत्तीसगढ़ी भासा ला आठवीं अनुसूचची मा सामिल कराय के परयास के संबंध मा चरचा करे के पहिली हमला ये जानेे ल परही के ये आठवी अनुसूची आय का अउ ऐखर ले का फायदा नुकसान हवय । आठवी अनुसूची हमर भारतीय संविधान के अइसे अनुसूची आय जेमा भारत मा प्र्रचलित भासा ला संवैधानिक दर्जा दे जाथे । भारतीय अनुच्छेद 344(1) अउ 35 (भासा) मा कहे गे हे भारतीय संघ के जम्मो कार्यपालिका अउ न्यायपालिका के भासा अंग्रेजी, हिन्दी...
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015
गांव होवय के देश सबो के आय
मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । एक्केला मा दूये परकार के मनखे रहि सकथे एक तन मन ले सच्चा तपस्वी अउ दूसर मा बइहा भूतहा जेखर मानसिक संतुलन डोल गे हे । सामाजिक प्राणी के सबले छोटे इकाई घर परिवार होथे, जिहां जम्मोझन जुर मिल के एक दूसर के तन मन ले संग देथें अपने स्वार्थ भर ला नई देखंय कहू कोनो एको झन अपन स्वार्थ ला अपन अहम ला जादा महत्व दे लगिन ता ओ परिवार के पाया ह डोले लगथें अउ ओ धसक जाथे । परिवार ला...
लोकप्रिय पोस्ट
-
राउत नाचा अउ ओखर दोहा मा पर्यावरण -रमेशकुमार सिंह चौहान राउत नाचा हमर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोवर आवय । हालाकि राउत ना...
-
मुक्तक की परिभाषा- ‘अग्निपुराण’ में मुक्तक को परिभाषित करते हुए कहा गया किः ”मुक्तकं श्लोक एवैकश्चमत्कारक्षमः सताम्” अर्थात चमत्कार की क्ष...
-
मात्रा गणना का सामान्य नियम - क्रमांक १ - सभी व्यंजन ( बिना स्वर के ) एक मात्रिक होते हैं जैसे - क , ख , ग , घ , च ...
-
ददरिया हमर छत्तीसगढ़ प्राकृतिक छटा ले जतका भरे - पूरे हे ओतके अपन लोकगीत ले घला अटे परे हे हर उत्सव के गीत हे इहां...
-
‘‘गुरू की सर्वव्यापकता‘‘ - रमेशकुमार सिंह चौहान भारतीय जीवनशैली गुरू रूपी सूर्य के तेज से आलोकित है । भारतीय साहित्य संस्कृत से ल...
-
शमि गणेश मंदिर नवागढ गांव नवागढ़ मोर हे, छत्तीसगढ़ म एक । नरवरगढ़ के नाव ले, मिले इतिहास देख ।। मिले इतिहास देख, गोड़वाना के चिन्हा । ...
-
‘‘साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का योगदान‘‘ -रमेशकुमार सिंह चैहान आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार -‘साहित्य ज...
-
पहिली के सियान मन कहंय जेखर स्वाभिमान मरगे ओ आदमी जीते-जीयत मरे के समान हे । ये स्वाभिमान आय का ? स्वाभिमान हा अपन खुद के क्षमता ऊपर वि...
-
‘‘गांव होवय के देश सबो के आय‘‘ मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । अकेल्ला मा दूये परकार के ...
-
बहर मात्राओं के क्रम को ही बहर कहा जाता है । जिस प्रकार हिन्दी में गण होता है उसी प्रकार उर्दू में रू...